आत्महत्या क्या मुसीबतों से छुटकारा पाने का तरीका है, नाटक ‘मरने के शॉर्टकट’ ने दिखा दी सच्चाई

आत्महत्या से बेहतर है कि ज़िन्दगी को संवार कर उसके साथ जिया जाए

आत्महत्या क्या मुसीबतों से छुटकारा पाने का तरीका है, नाटक 'मरने के शॉर्टकट' ने दिखा दी सच्चाई
आत्महत्या क्या मुसीबतों से छुटकारा पाने का तरीका है, नाटक ‘मरने के शॉर्टकट’ ने दिखा दी सच्चाई

बरेली। थिएटर अड्डा में रंगालय एकेडमी ऑफ आर्ट एंड कल्चर सोसाइटी के 15 दिवसीय थिएटर फेस्ट के 12 वें दिन लखनऊ के नाट्य संस्था भरत रंग ने नाटक ‘मरने के शॉर्टकट’ का मंचन किया। नाटक एक यक्ष प्रश्न के साथ शुरू होता है कि क्या मुसीबतों से छुटकारा पाने का आसान तरीका है आत्महत्या।

मरने के बाद भूत बने लोग

लेकिन नाटक बताता है कि आत्महत्या कोई समाधान नही बल्कि मानव जीवन की सबसे बड़ी भूल होती हैं। जिसे मरने के बाद सुधारा नही जा सकता। नाटक अलग अलग तरीको से मरे लोगो के दर्द को बयां करता है। मरने के बाद भूत बने लोग दर्शको से संवाद करके नाटक को और भी रोचक बना देते है।भूत बने हुए पात्र दर्शको को ये बताने में सफल रहते है कि मरने के बाद भी उनके मन मे जीने की लालसा है। यानी कि आत्महत्या से बेहतर है कि ज़िन्दगी को संवार कर उसके साथ जिया जाए।आज के नाटक में मुख्य अतिथि डॉ. विनोद पागरानी, शेर अली जाफरी, अतुल कपूर, रमेश गौतम रहे।
कार्यक्रम में शैलेन्द्र कुमार, शालिनी गुप्ता, सविता यादव, मानस सक्सेना, मोहित सक्सेना, अजय गौतम, सचिन श्याम भारतीय का विशेष सहयोग रहा।