गमो के अंधेरो को दूर करने के लिए किया जाता है चिरागॉ

चरागां की पाकिजा तकरीबात खानकाह के साहिब-ए-सज्जादा हजरत शाह मोहम्मद मेहदी मियाँ साहब किबला के जेरे सरपरस्ती में होगी

बरेली । खानकाह-ए-नियाजिया में 1 वा 02 नवम्बर को जश्न-ए- चरागां की रस्म अदा की जायेगी। हर वर्ष होने वाले इस अध्यात्कि (रूहानी) उत्सव में शिरकत करने के लिए देश-विदेश से जायरीन खानकाह पहुंच रहे हैं। चरागां की पाकिजा तकरीबात खानकाह के साहिब-ए-सज्जादा हजरत शाह मोहम्मद मेहदी मियाँ साहब किबला के जेरे सरपरस्ती में होगी ।
पिछले वर्ष जायरीनों की खासतौर पर महिलाओं की उमड़ी भीड़ के मद्दे नजर रखते हुए खानकाह के प्रबन्धक साहबजादा सिब्तैन नियाजी उर्फ शब्बू मियां ने इंतजामियां कमेटी के साथ इंतजामात का जायजा लिया। और तमाम साहबजादगान और खुद्दाम हजरात को ताकीद की, कि ऐसी व्यवस्था की जाये, जिसमें किसी अकीदतमंद को कोई तकलीफ न हो किसी की भावनाओं को ठेस न लगे। इंतजाम में लगे हर शख्स के तौर तरीकों में खानकाही तहजीब व अदब की खुश्बू होनी चाहिए। कौमी एकता, भाईचारा, सबका सम्मान खानकाही की परम्परा है।
इसी को लेकर जनाब शब्बू मियों ने खानकाह के तमाम साहबजादगान के साथ एक बैठक की और चरागां की विशेषता के बारे में शब्बू मियों ने कहा खानकाहे नियाजिया में कदीमी रिवायात के मुताबिक इस साल भी जश्ने चिरागा पूरी अकीदत व एहतराम के साथ और महबूवीन का कुल शरीफ होगा, कि चरागां के रोज नमाज-ए-फज के बाद कुरान ख्वानी से कार्यक्रम का आगाज होगा। उसके बाद दिन भर चादर पोशी, गुलपोशी का सिलसिला जारी रहेगा। दोपहर की फातिहा के बाद लंगर खोल दिया जायेगा । शाम 5 बजे महबूब-ए-इलाही हजरत निजामुद्दीन औलिया र0अ0 फिर 5:30 बजे महबूब – ए – सुब्हानी हजरत गौसुल आजम रजि० के कुल शरीफ की रस्म अदा की जायेगी। उसके बाद खानकाही चौकी चिश्तिया रंग व कड़का पढ़ेगी। हल्क- ए- जिक्र के बाद सज्जादा साहब मुल्क, कॉम व हाजरीन के अमनो आमान के वास्ते दुआ करेंगें । इस पाकीजा तकरीबात के बाद हजरत मेहदी मियां साहब अपने काफिले के साथ दिल्ली हजरत जिमुद्दीन औलिया के उर्स में शिरकत करने रवाना हो जायेगें ।
है। सबका पालने वाला रब्बुलआलमीन का वली और वलियों का वली अकीदत से फैले हुए हर दामन को गोहरें मुराद से भर देता है, चाहें वह दामन हिन्दू का हो मुसलमान का हो सिख का हो ईसाई का हो, काले गोरे का हो, गरीब का हो, अमीर का हो, किसी भी जाति सम्प्रदाय के व्यक्ति का बस मगर शर्त होती है तो सच्ची अकीदत की। हर साल की तरह इस साल भी यह जशने चिरागां 1नवंबर छोटा चिरागा वा 2 नवंबर बरोज़ जुमेरात बाद नमाजे मगरिव ख्वाजा कुतव खानकाहे आलिया नियाजिया में बड़ा चिराग़ा आयोजित किया जाएगा।
खानकाहे आलिया नियाजिया में होने वाला जश्ने चिरागां पीरो के पीर दस्तगीर हजरत गोसुल आजम रजी अल्लाहअन्हो की विशारत से आज से लगभग तीन सदी पहले कुतबे आलम शाह नियाज अहमद साहब किबला कादरी चिशती ने 17 रबीउस्सानी हजरत गोसपाक के विसाल के दिन जशने चिरागों का आयोजन करना आरम्भ किया। इस चिरागां में जो मन्नत चिराग लेकर मानी जाती है वह अल्लाह तआला हजरत गोस पाक (रज) के रादेक में हजरत शाह नियाज साहब के वसीले से एक साल के अन्दर अन्दर पूरी कर देता है। हर साल हजारो दामन मुरादों से भर जाते हैं, हजारों बेकसों, वेबसो गरीबों बेसहारा जिन्दगियों को सहारा मिल जाता है, हजारों जलते हुए चिरागों की लो लोगों की आँखों में खुशियों की चमक की सूचक होती है। इस चिरागं में किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होताकर मियाँ नियाजी और तमाम खुद्दाम हजरात शामिल रहें।