बरेली । जीवनधारा पुनर्वास एंव शोध संस्थान एवं आईएमए द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित “विश्व दिव्यांग दिवस” पर कार्यक्रम “हम भी है…”का भव्य आयोजन । कार्यक्रम मे दीप प्रज्ज्वलन सयुंक्त रूप से किया गया इसमे एडीएम सिटी, बरेली सौरभ कुमार दुबे, डॉ बी के चावला, प्रोफेसर डॉक्टर अमिताभ मिश्रा, डॉ राका चावला, डॉ आर पी गुप्ता, डॉ रविश अग्रवाल डॉ, प्रमेंद्र माहेश्वरी, डॉ इरफान अहमद, डॉ अनीता अजय भारती, पी पी सिंह ने किया l
कहा कि दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों को बढ़ावा देने के लिए विश्व वर्ष 1992 से प्रतिवर्ष 03 दिसम्बर को “विश्व दिव्यांग दिवस” के रूप मनाता है। जिसका उद्देश्य जनमानस में दिव्यांग व्यक्तियों के प्रति जागरूकता, भेदभावपूर्वक व्यवहार, नकारात्मक दृष्टिकोण को हटाना व इसके साथ साथ इन व्यक्तियों के जीवन में गुणात्मक परिवर्तन लाना एव समाज की मुख्यधारा से जोड़ना है।। भारतीय कानून के अर्न्तगत आज दिव्यांग व्यक्तियों को शिक्षा एवं मौलिक आवश्यकताएं प्राप्त करना एक अधिकार के रूप में ऊभर कर आया है
जिसकों पहले दया व सेवा की दृष्टि से देखा जाता था। इस वर्ष संयुक्त राष्ट्र ने अन्तर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस की थीम “विकलांग व्यक्तियों के लिए, उनके साथ और उनके सतत विकास लक्ष्यों को बचाने और प्राप्त करने के लिए कार्यवाई में एकजुटता” पर घ्यान केंद्रित किया है। विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी 03 दिसम्बर “विश्व दिव्यांग दिवस” पर जीवनधारा पुनर्वास एवं संस्थान के दिव्यांग बच्चों द्वारा “हम भी है…, हम भी है.., वी इग्जिस्ट…” की थीम पर प्रेरणात्मक, जागरूकता एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया । जिसमें इन बच्चों नेघर, परिवार, स्कूल, समाज एवं समुदाय आदि में आपनी मौजूदगी को बहुत ही अच्छे तरीके से रखा। मूकबधिर बच्चों के लिए कार्यक्रम के संवादो का प्रदर्शन संस्थान की साइन लैंग्वेज इन्टरप्रेटर सुश्री भगबती मोहाकुड ने स्टेज से किया। कार्यक्रम का प्रारम्भ ‘सरस्वती वन्दना’के साथ हुआ और इसका डा अमिताव मिश्रा, चेयरमैन जीवनधारा, डा एस पी अग्रवाल, डा रविश अग्रवाल, जीवनधारा प्रबन्धन की ओर से डॉ वी के चावला, डा राका चावला तथा जीवनधारा संस्थान की निदेशिका शाश्वती नन्दा ने संयुक्त रूप से ‘दीप प्रज्वलित’ करके किया।
“हम भी है…, हम भी है… वी इग्जिस्ट…” सांस्कृतिक कार्यक्रम के माध्यम से संदेश दिया कि एक बगीचे को देखों। यह प्रकृति के चमत्कारों का प्रमाण है। जिसमें विभिन्न रंगों, आकारों, आकृतियों और सुगंधों के अनगिनत फूल मिलेंगे। हो सकता है कि कुछ में वह सुगंध न हो, लेकिन साथ मिलकर, वे एक खूबसूरत माला बनाते हैं।
सांस्कृतिक कार्यक्रम में ‘3H’ की बात कही है कि कैसे (हार्ट, मस्तिष्क एवं हैंड) समावेशी शिक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं। कि इस तरह के बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षक का दिल बडा, मस्तिष्क ज्ञानवान तथा कक्षा में उत्पन्न होने वाली विभिन्न चुनौतियों से निपटने के लिए अभ्यास करने और अपने कौशल को निखारने के बारे में है। जीवनधारा पुनर्वास एवं शोध संस्थान के बच्चों द्वारा गीत एवं डांस कार्यक्रम जैसे “हम यही जीयेंगे”, “जमें रहो”, “ठान लिया हमने”, “आओं हम सब हाथ मिलाएं” एवं “जीत का जनून” पर दर्शकों ने खूब तालियाँ बजाई। संस्थान के छोटे-छोटे बच्चों द्वारा “इतनी सी हसी… इतनी सी खुशी… ग्रुप डांस ने सभी दर्शको का मन मोह लिया।
इससे पूर्व जीवनधारा के चेयरमैन प्रोफेसर डा अमिताव मिश्रा ने स्वागत अभिवादन में बताया कि आज बहुत ही हर्ष का विषय है आज जीवनधारा पुनर्वास शोध संस्थान ने अपने स्वर्णिम 31वर्ष पूर्ण कर 32 वर्ष में प्रवेश कर रहा है। डा मिश्रा ने कहा की मुझे यह बताते हुये बहुत ही गर्व हो रहा है कि जीवनधारा ने विगत 31 वर्षों से सैकड़ों अभिभावकों एवं बच्चों को लाभप्रद पुनर्वास चिकित्सा एवं प्रशिक्षण प्रदान किया। जो संस्था के पुनर्वास क्लीनिक के ओपीडी तथा फालोअप सर्विस द्वारा किया गया।
डा मिश्रा ने बताया कि यह संस्थान भारतीय पुनर्वास परिषद् भारत सरकार, नई दिल्ली (सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग, भारत सरकार) से मान्यता प्राप्त संस्थान है जो इन बच्चों को पढाने व प्रशिक्षित करने के लिए द्विवर्षीय डिप्लोमा कोर्स इन स्पेशल एजूकेशन (एम.आर. एवं एच.आई.) के माध्यम से स्पेशल शिक्षक तैयार करती है। यह संस्थान राज्य सरकार द्वारा दिव्यांगजनों की सेवा करने के लिए एक पुरूस्कृत संस्थान है। यह संस्थान भारतीय स्कूल प्रमाण पत्र परीक्षा परिषद् द्वारा शिक्षा और मानव संबर्धन के लिए पुरस्कार से पुरस्कृत है। संस्थान को कक्षा 12 तक दिव्यांग बच्चों को विशेष शिक्षा प्रदान करने हेतु NIOS (राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान), स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग, शिक्षा संस्थान, भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त है। यह बरेली मण्डल का एक मात्र संस्थान है जिसें दिव्यांग बच्चों को कक्षा 12 तक विशेष शिक्षा प्रदान करने हेतु NIOS से Special Accreditation मिला ताकि बरेली मण्डल के दिव्यांग छात्र एवं छात्राएं लाभान्वित हो सकें।
डॉ एस पी अग्रवाल आई.एम.ए., बरेली ने कहा कि मेडिकल सर्विस में व्यस्त विश्व वर्षों में ऐसे बच्चों की निदान और चिकित्सा को लेकर अनेक प्रगति हुई है। परन्तु पुनर्वास के क्षेत्र में जो प्रगति हम अर्न्तराष्ट्रीय शोध पत्रिका में पढ़ते है, वो विदेश में नहीं हमारे जीवनधारा में देखने पर मिल जाता है।
कार्यक्रम को सफल बनाने में संस्थान की निदेशिका शाश्वती नन्दा, पुनर्वास अधिकारी सिंह, हर्ष चौहान, विपिन सक्सेना-आडियोलोजिस्ट, मोहम्मद गौहर अब्बास, सोनल भाटिया, प्रिति गंगवार, हेमा चौहान, रजनी गंगवार, रूकसार, फारिया, ममता दिवाकर, काजल, नाज, वैशाली रायजादा, अजमी सुल्ताना, हुदा, शीरी खान, प्रियम्बदा, दीपाली राना, रूचि, नियोजिता चौहान, निकिता भारती, सचिन सिंह, विमल, विकास एवं जीवनधारा के डिप्लोमा कोर्स विशेष शिक्षा के समन्वयक अमित विश्वकर्मा, धीरेन्द्र पाल एवं अध्यनरत छात्र एवं छात्राओं जैसे सोनम पाण्डेय, प्रीति सिंह, अल्पना मैसी, प्रीति, शिफा कौसर, अयान, दिलीप आदि का विशेष सहयोग रहा। इस कार्यक्रम में आईएमए, बरेली के सदस्यगण, बरेली के अन्य प्रसिद्ध डाक्टरगण एवं गणमान्य व्यक्ति अभिभावकगण, स्वयंसेवी आदि उपस्थित रहें।