बरेली । आपकी पैदाइश उत्तरप्रदेश के मशहूर ओ मारूफ तारीखी ज़िला बदायूँ के मशहूर कस्बा “ककराला” में 19 रबिउस्सानी 1366 हिजरी मुताबिक 13 मार्च 1947 ईस्वी बरोज़ जुमेरात को हुई।
आपका खानदान हमेशा से इल्म ओ अमल, समाज सेवा, गरीबों ज़रूरतमंदों की मदद करने में पेश-पेश रहा। आपके वालिद, दादा, नाना, मामू वगैरह सब इलाक़े के इज़्ज़ततदार, दीनदार, जिम्मेदार लोग रहे हैं।
आपने शुरुआती तालीम (शिक्षा) वालिद मोहतरमा, वालिद मोहतरम से हासिल की इसके बाद मुकम्मल तालीम ओ तरबियत, इल्मे ज़ाहिर ओ बातिन की अपने पीरो मुरशिद दादा हुज़ूर हज़रत किब्ला शाह मौलाना शराफ़त अली मियां से हासिल फरमाई।
पीरो मुरशिद हज़रत किब्ला शाह मौलाना शराफ़त अली मियां ने आपको 17 साल की उम्र में सन् 1964 ईस्वी में सिलसिले की इजाज़त ओ खिलाफ़त से नवाज़ा।
अपने पीरो मुरशिद की निगरानी में और सिलसिले के उसूल ओ तरीकत की रौशनी में आपने बे पनाह जद्दो जहद, मेहनतें, रियाज़तें, इबादतें फरमाईं, तसव्वुफ ओ सुलूक के सारे उसूलों, तरीकों पर आप इल्मी व अमली तौर पर कारबंद थे। आपने अपनी पूरी ज़िंदगी में ख़ानक़ाही मामूलात (कामों) को अंजाम देने के लिए नक्शबंदी मामूलात पर पाबंदी से अमल किया।
जब आपकी 22 साल की उम्र हुई तो सन् 1969 ईस्वी में हज़रत पीरो मुरशिद शाह मौलाना शराफ़त अली मियां के विसाल के बाद ख़ानक़ाह शराफतिया के सज्जादानशीन हुए। खिदमते खल्क, गुरबा परवरी, इखलास ओ मुहब्बत से पेश आना, अमीर ओ गरीब से एक सा मिलना, बिना भेद-भाव खुदा के बंदों को खाना खिलाना आपकी मशहूर आदतें हैं।
पूरे हिंदुस्तान भर में गरीब लड़कियों की शादी ब्याह कराके उनके घर बसाना आपका मशहूर वस्फ (काम) था, मुसीबत ज़दा और परेशान हालों की आप बड़ी दिलजोई से फरयाद सुनते और अपने दुआओं व फैज़ान से खूब नवाज़ते।
आपने सिलसिला ए कादिरिया मुजद्दिदया के फरोग ओ तरक्की के लिए बड़ी सख़्त मेहनतें, मुजाहिदे किए कि मौजूद वक्त में पूरी दुनिया में ये सिलसिला एक मुस्तकिल सिलसिला ए सकलैनिया की शक्ल इख्तियार कर गया।
आलमे इस्लाम के मुख्तलिफ (अलग-अलग) मुल्कों में आपके मुरीदीन ओ अकीदतमंदों की तादाद लाखों लाख में है।
आपकी सरपरस्ती में कई दर्जन इदारे मदरसे तालीम ओ तरबियत में मसरूफ हैं, इसी तरह हज़रत शाह सकलैन एकेडमी और इसके अलावा दूसरी बहुत सी तहरीके, तंजीमें मुल्क ओ मिल्लत की खिदमात में सरगरमे अमल हैं। आपकी तामीरी खिदमात की फेहरिस्त भी बहुत तवील है।
कल बतारीख़ 20 अक्तूबर बरोज़ जुमा नमाज़े जुमा की इमामत हाफ़िज़ गुलाम गौस सकलैनी ने की, आपने तबियत नासाज़ होने के बवुजूद नमाज़े जुमा बा जमाअत अदा की और नमाज़े अस्र तक मुरीदीन से सलाम ओ मुलाकात का सिलसिला जारी रखा। मगरिब की आज़ान के वक्त तबियत अचानक बिगड़ी तभी अहले खाना (घरवाले) फौरन हॉस्पिटल लेकर पहुंचे और डॉक्टर वगैरह इलाज ओ मुआलजा में लग गए, आखिरकार 4 रबिउस्सनी 1445 हिजरी 20 अक्तूबर 2023 बरोज़ जुमा शाम 7 बजे इस दुनिया ए फानी को अलविदा कहकर अपने खालिक ओ मालिके हकीकी की बारगाह में तशरीफ़ ले गए और अपने लाखों चाहने वालों को रोता बिलकता छोड़ गए।
पीरो मुरशिद शाह सकलैन मियां हुज़ूर के आखिरी दीदार करने आए नेता गण जिसमे समाजवादी पार्टी के बदायूं ज़िला अध्यक्ष आशीष यादव
सपा के शेखुपुर विधायक हिमांशु यादव बरेली के सपा नेता इस्लाम साबिर सपा के पूर्व मंत्री शहजिल इस्लाम । बरेली से इत्तिहादे मिल्लत कॉन्सिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष तौक़ीर रज़ा भी हज़रत शाह सकलैन मियां हुज़ूर का आखिरी दीदार करने पहुंचे।
आपकी नमाज़े जनाज़ा 22 अक्तूबर बरोज़ इतवार सुबह 10 बजे इस्लामिया इंटर कॉलेज के मैदान में अदा की जायेगी।