देवदीपावली पर 101 दीपक जलाकर मनाई

देव दिवाली के दिन देवतागण धरती पर आते हैं

बरेली । श्री शिरडी साई सर्बदेव मंदिर श्यामगंज के महंत पंडित सुशील पाठक ने जानकारी देते हुए बताया आज दिनांक 27 नवंबर को कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को देव दिवाली का पर्व मनाया गया , इस साल यह शुभ तिथि 27 नवंबर यानी आज है। यह पर्व दिवाली के ठीक 15 दिन बाद मनाया जाता है। मान्यता है कि देव दिवाली के दिन देवतागण धरती पर आते हैं और दिवाली मनाते हैं। इस दिन पवित्र नदियों और मंदिरों में दीपदान किया जाता है और चंद्रमा के पूर्ण दर्शन होते हैं। तुलसी विवाह की रस्म भी इस दिन पूरी होती हैं, कार्तिक पूर्णिमा पर तुलसी माता की विदाई होती है। आइए जानते हैं दीपदान का महत्व, दीपदान क्या है ।
पौराणिक कथा के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा पर भगवान विष्णु अपने वामन अवतार के बाद राजा बलि के पास चले गए थे, इस दिन भगवान विष्णु वापस अपने निवास स्थान बैकुंठ पधारते हैं। इस खुशी में दीप जलाएं जाते हैं। कल्पभेद और मतांतर में ऐसा बताया गया है कि कार्तिक पूर्णिमा की शाम को भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था। इसी कारण नदियों में दीप प्रवाहित किए जाते हैं। अन्य कथा के अनुसार, इस दिन भगवान शिव ने एक साथ तीन असुरों का वध किया था इस वजह से कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहते हैं।दीपक का दान करना या फिर दीप को जलाकर किसी स्थान पर रखने को दीपदान कहते हैं। आज श्री शिरडी साई सर्बदेब मंदिर मे 101 दीपक जलाकर देव दीपावली का उत्सव मनाया इस अबसर पर पंडित सुशील पाठक के साथ अनुपम टीबडेबाल सीमा टीबडेबाल ज्वाला प्रसाद गंगवार एडवोकेट भावना अग्रवाल आयुश अभिषेक प्रबीन बिक्की अरोरा आदि अनेक भक्तो ने मिलकर दीप जलाकर देवदीपावली मनाई ।