बरेली। ईद मीलादुन्नबी के मौक़े पर हमें अहद करना है कि हम अपनी ज़िंदगी पैग़ंबर-ए-इस्लाम की सुन्नतों पर अमल करते हुए गुज़ारेंगे। शरीअत की पाबंदी करके ज़माने को ऐसा पैग़ाम देंगे जिससे इस्लाम की सही पहचान कराई जा सके। हमारा तौर-तरीक़ा ऐसा होना चाहिए कि लोग दूर से देखकर पहचान सकें कि पैग़ंबर-ए-इस्लाम के चाहने वाले आ रहे हैं। नबी-ए-पाक के ग़ुलाम नेक अमल से पहचाने जाते हैं। हमारा कोई अमल ऐसा नहीं होना चाहिए जिससे इस्लाम की रुसवाई हो। यही प्यारे आक़ा से सच्ची मुहब्बत है और ईद मीलादुन्नबी के मौक़े पर यही हमारा पैग़ाम है।
नबीरा-ए-आला हज़रत व ऑल इंडिया रज़ा एक्शन कमेटी के नायब सदर मौलाना अदनान रज़ा क़ादरी ने ईद मीलादुन्नबी के मौके पर ख्वाजा कुतुब स्थित आरएसी मुख्यालय “बैतुर्रज़ा” में सजाई गई नूरानी महफ़िल में यह पैग़ाम दिया। इशा की नमाज़ के बाद सजाई गई इस महफ़िल की शुरुआत कलाम-ए-पाक की तिलावत से की। इसके बाद उलमा की तक़रीरें हुईं और फिर नातो-मनक़बत का नज़राना पेश किया गया।
इस मौके पर नबीरा-ए-आला हज़रत मौलाना अदनान रज़ा क़ादरी ने कहा कि हमारे हर काम से यह पहचान होनी चाहिए कि हम पैग़म्बर-ए-इस्लाम से सच्ची मुहब्बत करने वाले हैं। नशाख़ोरी, सूदख़ोरी, ज़ुल्म-ज्यादती, शोर-शराबा, हुड़दंग, नाचना-कूदना हमारा काम नहीं है। इसलिए ईद मीलादुन्नबी के में डी जे बजाने नाचने कूदने सहित तमाम में तमाम ग़ैरशरई कामों से बचें बाज़ रहें। हमारा काम ग़रीबों-बेसहारों की मदद करना, यतीमों के सर पर हाथ रखना, मज़लूमों का साथ देना है। हमें यही करना चाहिए ताकि सही मायने में ईद मीलादुन्नबी मनाने वाले बन सकें। उन्होंने कहा कि यूँ तो मुसलमान का किरदार ऐसा होना चाहिए कि उसकी हर हर अदा में सुन्नते मुस्तफा नज़र आए यह ईदों की ईद है इसलिए इस मौक़े पर अदब और तहज़ीब का बेहद ख्याल रखना चाहिए।
ईद मीलादुन्नबी की इस मुबारक महफ़िल में उलमा ने तकरीरों में सरकार की शान बयान की। नातो-मनक़बत का नज़राना भी पेश किया गया। इस मौक़े पर सय्यद शोएब रज़ा अब्दुल्ला रज़ा अली रज़ा कादरी मुफ्ती उमर रज़ा हाफिज इमरान रज़ा मुफ्ती मुजम्मिल मुफ्ती इरशाद रज़ा मौलाना कमरुज्जमा मौलाना सय्यद तौकीर रज़ा मौलाना सद्दाम रज़ा मौलाना सय्यद सफदर रज़ा मौलाना जफर रज़ा हाफिज आरिफ रज़ा हाफिज आलम बरकाती मुशाहिद रफत उस्मान रज़ा रिज़वान रज़ा अब्दुल हलीम खान राजू बाबा अब्दुल लतीफ कुरैशी हनीफ अजहरी अमीक रज़ा काशिफ रज़ा सईद सिब्तैनी मोहम्मद जुनैद साजिद रज़ा राशिद रज़ा आमिर रज़ा शहबाज़ रज़ा मोहम्मद चांद फुरकान रज़ा शोएब रज़ा सलमान हुसैन रईस खान मौलाना आकिब रज़ा इश्तियाक हुसैन मोहम्मद अहमद ताहिर रज़ा अनवर हुसैन तहजिम रज़ा सरताज रज़ा सुहैल रज़ा शारीक रज़ा यूसुफ रज़ा हसीन रज़ा नूर मोहम्मद बाबुद्दीन आरिफ रज़ा नायब रज़ा सहित सैकड़ों लोग मौजूद रहे।आख़िर में हज़रत अदनान रज़ा क़ादरी ने ख़ुसूसी दुआ फ़रमाई।