परचम कुशाई की रस्म के साथ हुआ पहलवान साहब के उर्स का आगाज़

दरगाह के सज्जादानशीन फरहान रज़ा खान ने मुल्क में अमन चैन की दुआ की

बरेली । हज़रत सय्यद वासिल शहीद उर्फ़ पहलवान साहब के 207वें उर्स का आगाज़ बाद नामज़े असर परचम कुशाई की रस्म के साथ ख़ानक़ाहे वासिलया दरगाह पहलवान साहब पर हुआ | उसके बाद दरगाह पहलवान साहब पर फातिहा खवानी हुई । जिसमे दरगाह के सज्जादानशीन फरहान रज़ा खान ने मुल्क में अमन चैन की दुआ की । बाद नमाज़े ईशा नातो मनकबत का मुशायरा हुआ जिसमे शाइरों ने अपने अपने कलाम पेश किए और श्रोताओं से दाद ओ तहसीन हासिल की । अदनान काशिफ ने पढ़ा – कुछ हजरते हस्सान का सदका हो मयस्सर/ ए काश मुझे नात का लिखना हो मयस्सर । बिलाल राज़ ने पढ़ा – बाज़ आजा ए मुनाफिक हश्र मे पछतायगा / देख उनके दोस्तों से दुश्मनी अच्छी नहीं । असरार नसीमी ने पढ़ा – आक़ा के गुलामों की जबानों मे असर है/ वो शाम तो कह दें कि सहर है तो सहर है पहलवान साहब कि शान मे शेर इस तरह पढ़ा- इधर शाह वासिल उधर शाह वासिल / तुम्हें ढूंढती है नज़र शाह वासिल । इसके अतिरिक्त अमन बरेलवी, मखदूम, आमिर रब्बानी, नज़र, नईम तहसीनी, शबाब कासगंजवी, शाद शमसी आदि ने अपने कलाम सुनाकर श्रोतागण से दाद हासिल की मुशायरा का समापन सलातो सलाम पर हुआ , जिसकी सदारत मुफ़्ती फ़ुरक़ान रज़ा नूरी ने की और संचालन इसरार नईमी ने की | उर्स के सभी प्रोग्राम नबीरे आलाहज़रत क़ायदे मिल्लत हज़रत मौलाना तौक़ीर रज़ा खान की सरपरस्ती और जनाब डॉ नफीस खान की सदारत और सेक्रेटरी नोमान रज़ा खान की देखरेख मे मुनअकिद किये जा रहे हैँ | प्रोग्राम की व्यवस्थाओ मे मुख्य रूप से इमरान खान, सय्यद रेहान अली, नदीम खान, मुनीर इदरीसी, अफ़ज़ाल बेग, इमरान खान,सोहेब हसन अल्वी, रिज़वान हुसैन अंसारी, मो शफी, सूफ़ी जुबेर मिया, शहज़ाद पठान नियाज़ी, शादाब मिर्ज़ा, आरिफ नूरी, वासिफ यार खान, निज़ाम अज़हरी,अतीक साबरी, निज़ाम कुरैशी आदि मौजूद रहे ।