ब्रिटिश राज ने आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को अवैज्ञानिक रहस्यमयी और धार्मिक विश्वास माना

ट्रान्सिशनल करीकुलम कार्यक्रम का चौथा दिन

बरेली । भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग नई दिल्ली के द्वारा बताये गये ट्रान्सिशनल करीकुलम कार्यक्रम के चौथे दिन एसआरएम राजकीय आयुर्वेदिक कालेज एवं चिकित्सालय, बरेली में मंगलवार को राजकीय आयुर्वेेदिक कालेज पीलीभीत से पधारे डाॅ अविनाश वर्मा एवं संस्था के प्राचार्य एवं अधीक्षक प्रो डी के मौर्य ने सर्वप्रथम धन्वंतरि भगवान को माल्यापर्ण एवं दीप प्रज्वलित किया। वर्तमान समय में आयुर्वेद प्रगति पर अपना प्रस्तुतिकरण देते हुए डाॅ अविनाश वर्मा ने बताया कि ब्रिटिश राज ने आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को अवैज्ञानिक रहस्यमयी और केवल एक धार्मिक विश्वास माना। इसके विपरीत अंग्रेजों ने एलोपैथी को राज्य का संरक्षण प्रदान किया। परिणामस्वरूप आयुर्वैदिक चिकित्सा पद्धति को नष्ट करने का प्रयास भी किया गया। इसके परिणामस्वरूप अनेकों महान आयुर्वेदिक ग्रन्थए वैद्य और प्रक्रियाएँ दबकर रह गयीं। आयुर्वेद उन ग्रामीण क्षेत्रों में जीवित रहा जो आधुनिक सभ्यता की पहुँच से दूर थे।

ब्रिटिश राज ने आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को अवैज्ञानिक रहस्यमयी और धार्मिक विश्वास माना
ब्रिटिश राज ने आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को अवैज्ञानिक रहस्यमयी और धार्मिक विश्वास माना

स्वतंत्रता के पहले आयुर्वेद उपेक्षित था किन्तु स्वतंत्रता के बाद भी कई दशकों तक आयुर्वेद की उपेक्षा होती रही। स्वतंत्रता के बाद आयुर्वेद को आधुनिक चिकित्सा पद्धति के साथ जोड़ने का प्रयास किया गया। इसके पीछे यह तर्क दिया गया था कि एक संयुक्त चिकित्सा प्रणालीए अकेले आयुर्वेद से अधिक प्रभावकारी होगी। आजादी के बाद कोलकाता बनारस, हरिद्वार, इंदौर, पूना और बंबई आयुर्वेद के प्राचीन उत्कृष्ट संस्थान के रूप में स्थित थे। २०वी शताब्दी के अन्त और २१वीं शताब्दी के आरम्भ में आयुर्वेद में विशेष रुचि देखने को मिली। केरल की आर्य वैद्यशाला बहुत प्रसिद्ध है। स्वामी रामदेव का पतंजलि आयुर्वेद २००६ में आरम्भ हुआ था। इसे भरपूर व्यावसायिक सफलता मिली है। वर्ष 2014 में आयुष मंत्रालय की स्थापना से आयुर्वेद को प्रोत्साहन मिला। २०२० में भारत सरकार ने आयुर्वैदिक चिकित्सकों को भी कुछ प्रकार की शल्यचिकित्सा करने की अनुमति दे दी। योगेश कुमार ने एंटीरेगिग विषय पर महत्व पूर्ण जानकारियों दीं। डॉ आभा द्विवेदी ने मानस प्रकृति के विषय पर व्याखान दिया! डॉ वीर कीर्ति ने फार्मास्यूटिकल रिसर्च एंड प्रोडक्ट्स विषय पर छात्रों को जानकारियां से अवगत कराया। डॉ प्रणव गौतम ने टाइम मैनेजमेंट पर विस्तार से चर्चा की ने एवं क्रार्यक्रम में योग विशेषज्ञ गरिमा सिंह ने योग एवं ध्यान पर अपना व्याख्यान दिया।
प्रो डी के मौर्य ने छात्रों को बताया की 15 दिन के कार्यक्रम में प्रतिदिन मुजफफ्रनगर एवं पीलीभीत, हल्दानी आदि शहरों से अतिथि चिकित्सक एवं शिक्षक पधारकर ज्ञानवर्धन एवं मोटिवेट कर रहे हैं। कार्यक्रम का सचालन प्रो रीता गुप्ता द्वारा किया गया। प्रो योगेश कुमार, डॉ अजय यादव, डॉ प्रणव गौतम, डा अतुल कुमार, डा संतोष कुमार, डा अरूणेन्द्र कुमार सिंह एवं अन्य शिक्षक तथा छात्र छात्रा उपस्थित रहे।