बरेली: इज्जतनगर स्थित भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान में अनुसूचित जनजातियों के लिए विकास कार्य योजना (DAPST) के तहत जनजातीय लोगों के बीच उद्यमशीलता विकास के लिए वैज्ञानिक बैकयार्ड पॉल्ट्री फार्मिंग पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम की मुख्य अतिथि प्रसार शिक्षा विभाग की संयुक्त निदेशक डॉ. रूपसी तिवारी ने स्थितियों के तहत पोल्ट्री प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं के बारे में प्रतिभागियों को जानकारी दी।
डॉ. रूपसी तिवारी ने कहा कि बैकयार्ड मुर्गी पालन में मुर्गियों को आंगन या घर के पिछवाड़े में पड़ी खाली जगह में आसानी से पाला जा सकता है। इसमें आप देशी मुर्गियों का चयन कर अपनी आय को बढ़ा सकते हैं। ये मुर्गियां आहार के रूप में हरे चारे और घर की बची फल-सब्जियों के छिलके, अनाज, खरपतवार के बीच दाने और कीड़े-मकोड़े आदि खाकर अपना जीवन यापन कर लेती हैं। लेकिन, अधिक उत्पादन के लिए इन मुर्गियों को कुछ अतिरिक्त आहार की भी आवश्यकता होती है। इसलिए उनको मक्का, बाजरा, चावल खली, कैल्शियम आदि दिया जाना चाहिए। इसके साथ ही साथ पशुधन उत्पादन और प्रबंधन में अग्रणी भूमिका निभाने वाली महिलाओं के महत्व पर जोर दिया।
भूमिका और महत्व के बारे में भी दी गई जानकारी
प्रसार शिक्षा विभाग के प्रमुख डॉ. एच. आर. मीणा ने अपने संबोधन में उपस्थित लोगों को जनजातीय लोगों की आजीविका और पोषण सुरक्षा बढ़ाने के लिए वैज्ञानिक बैकयार्ड पोल्ट्री फार्मिंग की भूमिका और महत्व के बारे में बताया। प्रशिक्षण कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. मदन सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन किया। इस अवसर पर प्रसार शिक्षा विभाग के वैज्ञानिक डॉ. क्षुति सहित अनेक अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।