बरेली: आजकल देखा ये जा रहा है कि हर जुलूस चाहे मोहर्रम के हों या किसी बुजुर्ग के उर्स से संबंधित हों और साथ ही जुलूस-ए मोहम्मदी में भी डीजे और ढोल-नगाड़े का खूब इस्तेमाल हो रहा है। इन मुद्दों को लेकर उलमा बहुत चिंतित है, इसलिए आज ऑल इंडिया मुस्लिम जमात की एक महत्वपूर्ण बैठक ग्रांड मुफ्ती हाउस स्थित दरगाह आला हजरत पर संपन्न हुई।
ये जानकारी देते हुए जमात के अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने कहा कि ये बहुत अफसोस करने का मकाम है कि जो कौम दूसरों को रहनुमाई करने का पैगम्बरे इस्लाम ने दाइत सौंपा था, वो कौम आज अपनी इस्लामी रास्ते से भटक गई है। यही वजह है कि हर जगह नाकामी और रुसवाई का सामना करना पड़ रहा है। शरीयत ने नाच व गाना और ढोल तमाशा व डीजे आदि चीजों को इस्तेमाल करने से स्पष्ट तौर पर नाजायज व हराम करार दिया है, लेकिन अब चंद सालों से देखा जा रहा है कि इमाम हुसैन की निसबत से मोहर्रम के महीने में खूब डीजे का इस्तेमाल हो रहा है।
गैरों के सामने इस्लामी शरीयत का मजाक न बनाएं
उन्होंने कहा कि शहर के कई बुजुर्गों के उर्स के कार्यक्रमों में चादरों के जुलूस के नाम पर खूब डीजे बजाय जा रहा है और हद यहां तक हो गई कि पैगम्बरे इस्लाम के नाम से मनसूब जुलूस-ए-मोहम्मदी में भी धड़ल्ले से डीजे का इस्तेमाल हो रहा है। हैरत तो इस बात कि है कि जो लोग दीन के उत्थान और कौम के कल्याण के लिए उनकी जेब से पांच रुपये तक नहीं निकलते हैं और वही लोग इन धार्मिक कार्यक्रमों में 80 हजार से लेकर 1.5 लाख रुपये तक के डीजे बुक कराते हैं। मैं इन तमाम लोगों से कहना चाहता हूं कि खुदा व रसूल से डरिए और गैरों के सामने इस्लामी शरीयत का मजाक न बनवाइये।
मौलाना शहाबुद्दीन ने आगे कहा कि जुलूस-ए मोहम्मदी बहुत पाक और साफ जुलूस है। उसी दिन यानी 12 रबी अव्वल शरीफ को पैगम्बरे इस्लाम पैदा हुए थे, इसलिए इस दिन पूरी दुनिया के मुसलमान खुशी मनाते हैं। लेकिन, इस दिन पाकीज़गी (महत्वपूर्णता) का ख्याल नहीं रखते हैं। तमाम मुसलमानों से अपील है कि जो झंडे अपने घरों में लगाते हैं, उसके साथ ही तिरंगा झंडा भी लगाएं। जुलूसों के दरमियान लगने वाले नारों पर भी ध्यान रखें। हमारे बुजुर्गों द्वारा प्रचारित किए गए नारे ही लगाएं। पाकिस्तान से द्वारा प्रमोट किया गया नारा “सर तन से जुदा” न लगाएं, क्योंकि इस नारे से कट्टरपंथी विचार झलकते हैं, जबकि पैगम्बरे इस्लाम ने पूरी दुनिया को प्यार व मोहब्बत और अमन व शांति का पैगाम दिया है। जुलूस में शिरकत करने वाले लोग नमाज का एहतमाम करें, जुलूस में औरतें और छोटे बच्चे न आएं।
इस बैठक में मुख्य रूप से हाफिज नूर अहमद अजहरी, मुफ्ती हाशीम रजा खां, मौलाना अबसार अहमद, हाफिज अब्दुल वाहिद, मौलाना आजाद,हाजी नाजिम बेग, तहसीन खां, जारीब गद्दी, इकबाल अंसारी ऐडवोकेट, तसव्वुर हुसैन ऐडवोकेट, सय्यद तय्यब चिश्ती, हाजी तारीख रजा, रोमान अंसारी, अब्दुल हसीब खां हाफिज अरबाज रजा आदि उपस्थित रहे।