बरेली । लगभग 300 वर्ष पूर्व हजरत गोसुलआजम रजी-अल्लाहअन्हो ने सपने में हजरत शाह नियाज रजीअल्लाह अन्हों को बिशारत दी कि 17 रबीउस्सानी (हजरत गोस पाक के विसाल के दिन) को गोस पाक के नाम का चिरागां किया जाये। इस दिन जो गोस पाक के नाम का मन्नत का चिराग उठायेगा उसकी मन्नत अल्लाह तआला इन्शाल्ला गोस पाक के सदके में हजरत शाह नियाज के वसीले से एक साल के अन्दर पूरी कर देगा । जब आज तक गोसुल आजम दस्तेगीर (रजी0) का यह फैज हजरत शाह नियाज अहमद साहब किबला के वसीले से जारी है और इन्शाल्ला कयामत तक जारी रहेगा ।

गमो के अंधेरों को दूर करने के लिए किया जाता है जश्ने चिरागा
02 नवम्बर बरेली खानकाहे आलिया नियाजिया में आज हजरत गोस पाक के नाम के जशने चिरागां का दृश्य अनोखा व निराला था । चारों तरफ मन्नतों के चिराग रोशन थे इन चिरागों की रोशनी अकीदतमन्दों के दिलों की उम्मीदों की रोशनी को व्यक्त कर रही थी । हर व्यक्ति चाहे हिन्दू हो या मुसलमान या किसी भी सम्प्रदाय का हो यहाँ सिर्फ एक ही रंग में रंगा हुआ था ।



अकीदत व श्रृद्धा से शराबोर हर व्यक्ति हाथों में चिराग लिये या चिराग लेने की उम्मीद लिये अपनी दुआओं और प्रार्थनाओं में व्यस्त था । साम्प्रदायिक सद्भावना का अद्भुत दृश्य था । किसी को किसी की खबर नहीं थी हर व्यक्ति मन्नत का चिराग हासिल करने के लिए लम्बी कतारों में लगे थे और इस दृढ़ निश्चय के साथ कि आज चाहें कितनी देर हो जाये लेकिन मन्नत का चिराग जरूर लेकर जाना है इस मन्नत पर ढेर सारी उम्मीदें टिकी हुई हैं और अगर आज यह मौका निकल गया तो फिर साल भर के बाद आयेगा ।


इतनी भारी भीड़ के बाबजूद लोग अदब, संयम व अनुशासन के साथ लाइन में लगे हुए अपनी बारी का इन्तजार कर रहे थे । मन्नतों के चिराग सज्जादा नशीन हजरत मेहंदी मियां साहब किबला द्वारा देर रात तक बॉटे जाते रहे। कव्वाली के बाद देर रात हजरत गोसुल आजम व हजरत महबूबे इलाही निजामुद्दीन औलिया रजी अल्लाह अन्हुम का कुलशरीफ सम्पन्न हुआ । सज्जादा साहब ने अमने आलम मुल्क कौम व हाजीन के लिए दुआ फरमाई । जशने चिरांगा की सारी व्यवस्थायें प्रबन्धक शब्बू मियां साहब द्वारा देखी गई उनका सहयोग खानदान के अन्न अफराद मुरीदीन विशेष सहयोग रहा। मेडिकल कैम्प पर बीमारों का उपचार चलता रहा । इस दौरान माइक पर ऐलान के साथ साथ हजरत गोस पाक हजरत महबूबे इलाही की शान में मनकबतें पढ़ी जाती रहीं ।

गोस पाक के सदके में कुतबे आलम हजरत शाह नियाज के बसीले से अल्लाह ताला की बेहिसाब इनायतो करम का यह मन्जर देखकर शायद की जबान पर बेसाखता यह अशआर आ रहे थे ।