बरेली। समाजसेवी पम्मी खान वारसी ने बताया कि किला फुटादरवाज़ा स्थित गौस पाक के झण्डे पर उर्स के आखिरी दिन की तक़रीबात बाद नमाज़े फजर क़ुरआने पाक की आयतों से हुई,अक़ीदतमंदो ने मन्नतों मुरादों की चादरपोशी गुलपोशी की,
तक़रीरि महफ़िल में उलेमा ने कहा कि पीराने पीर दस्तगीर ग़ौसे आज़म ने हमेशा दीन दुखियों की मदद की,खेल खेल में मुर्दो को ज़िंदा कर दिया,मुसलमानो को तालीम और हक़ के रास्ते पर चलने का पैग़ाम दिया।
मोहम्मद फ़राज़ मियाँ कादरी ने बताया कि हज़रत सय्यद मीर वतन रहमतुल्लाह अलेह के खानदानी बुजुर्ग आज से तकरीबन 315 साल पहले बग़दाद शरीफ़ से वलियों के सरदार ग़ौसे आज़म के रोज़ाए मुबारक़ से झण्डा शरीफ़ बरेली शरीफ़ लेकर आये,ये ग़ौस पाक का झण्डा हमेशा बरेली व लोगों की हिफाज़त करेगा और अमन का पैग़ाम देगा।उर्स के प्रोग्राम की सदारत हज़रत तौकीर रजा खां ने की।
बरेली हज सेवा समिति के संस्थापक पम्मी खाँ वारसी ने अपनी अक़ीदत का इज़हार करते हुऐ कहा कि दिल की आंखों से काम लेता हूँ, उनके दामन को थाम लेता हूँ, दूर होती हैं गर्दिशे मेरी,गौस का जब भी नाम लेता हूँ।।
महफिल ए समां में फ़नकारों ने अपने अपने कलामों में बुजुर्गों को रूहानी ज़िन्दगी पर रोशनी डाली,रंग शरीफ पढ़ा गया।
बाद नमाज़े जौहर 2:38 पर हज़रत सय्यद मीर वतन रहमतुल्लाह अलेह के कुल शरीफ की रस्म अदायगी के बाद डेंगू जैसी तादात बीमारियों सबको दूर रखने,और जो बन्दे इन बीमारियों की गिरफ्त में आ गये अल्लाह पाक उनको शिफ़ा दे,वतन की खुशहाली और तरक़्क़ी भाईचारे को ख़ुसूसी दुआएँ की गई सलातो सलाम का नज़राना पेश किया गया। और सुर्मा किंग मरहूम एम. हसीन हाशमी सहित जो लोग दुनिया से रुखसत हो गये उनकी मग़फ़िरत के लिये दुआ की गई।हाज़रिने महफ़िल को लंगर तबर्रुक बाटा गया।
इस मौके पर सुहैल हाशमी ,पम्मी वारसी,जनसेवा टीम के हाजी साकिब रज़ा ख़ाँ,हाजी शावेज़ हाशमी,मोहम्मद फ़राज़ मियाँ क़ादरी,अहमद खान टीटू,हाजी फैज़ान ख़ाँ क़ादरी,नावेद हाशमी,हाजी नौशाद अली ख़ाँ,तहसीन बेग,यावर अली ख़ाँ बिट्टू,मुज़म्मिल खान,शहंशाह मियां,बब्बू नियाज़ी,ताहिर खान,मुन्नाअंसारी,मुजाहिद इस्लाम,अशरफ शम्सी,पप्पू,जमील,नदीम शम्सी, इस्तेखार शम्सी,जावेद,हनीफ खान,आसिफ शम्सी,सलमान शम्सी,अज़ीम आदि सहित बड़ी संख्या में अकीदतमंद शामिल रहे।कुल शरीफ की रस्म के बाद चार रोज़ा उर्स ए पाक का समापन हो गया,उर्स कमेटी ने सभी का शुक्रिया अदा किया।