पराष्ट्रपति चुनावी जंग: NDA के पास आंकड़े, INDIA गठबंधन ने दिखाया दम

नई दिल्लीः उपराष्ट्रपति चुनाव के अब 9 सितंबर को मतदान होना लगभग तय लग रहा है. एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन के मुकाबल इंडिया गठबंधन ने जस्टिस बी सुदर्शन रेड्डी को मैदान में उतारा है. नामांकन की अंतिम तारीख 21 अगस्त है. दोनों गठबंधन अगले दो दिनों में अपनी रणनीतियों को अंतिम रूप देने में लगे हैं. माना जा रहा है कि एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच मुकाबला देखने को मिल सकता है.

इंडिया गठबंधन ने जैसे ही अपने उम्मीदवार खड़े किए, एनडीए ने अपनी रणनीति में बदलाव लाना शुरू कर दिया. अभी तक एनडीए की कोशिश थी कि उनके उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन के नाम पर आम सहमति बन जाए. इसके लिए राजनाथ सिंह विपक्ष के नेताओं से बात भी कर रहे थे. सूत्रों की मानें तो एनडीए अब इस कोशिश में है कि सीपी राधाकृष्णन को ज्यादा से ज्यादा वोट मिले. इंडिया गठबंधन के कुछ घटक दलों को अपने पाले में करने की कोशिश में है.
संख्या बल के हिसाब से एनडीए मजबूत स्थिति में है. एनडीए ने वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (YSRCP) का समर्थन हासिल कर लिया है. जिससे उनकी स्थिति और मजबूत हुई है. हालांकि, बीजू जनता दल (BJD) ने एनडीए उम्मीदवार को समर्थन न देने का फैसला किया है, जिससे गठबंधन को अपनी रणनीति को और पुख्ता करने की जरूरत है.

एनडीए ने क्षेत्रीय दलों और निर्दलीय सांसदों से संपर्क तेज कर दिए हैं. मंगलवार 19 अगस्त को दिल्ली में एनडीए संसदीय दल की बैठक हुई, जिसमें राधाकृष्णन के नामांकन और समर्थन जुटाने की रणनीति पर विस्तृत चर्चा हुई. गठबंधन ने अपने सांसदों को एकजुट रहने और वोटिंग के दौरान कोई चूक न होने देने के निर्देश दिए हैं. 20 अगस्त को होने वाले नामांकन को एक शक्ति प्रदर्शन के रूप में भी बनाने की एनडीए की योजना है.
वहीं इंडिया गठबंधन की बात करें तो उन्हें पता है कि एनडीए के पास संख्या बल है, फिर भी वे इस चुनाव को एक मजबूत राजनीतिक संदेश देने के अवसर के रूप में देख रहे हैं. बी सुदर्शन रेड्डी के चयन से गठबंधन की कोशिश है कि वे बीजेपी के कुछ असंतुष्ट सांसदों या सहयोगी दलों को क्रॉस-वोटिंग के लिए प्रेरित करें. गठबंधन निर्दलीय सांसदों, बीजद और अन्य छोटे दलों से समर्थन जुटाने में लगा है.

कांग्रेस, डीएमके और अन्य सहयोगी दल अपनी क्षेत्रीय ताकत का इस्तेमाल कर रहे हैं ताकि अधिक से अधिक वोट हासिल किए जा सकें. इंडिया ब्लॉक के नेता निर्दलीय सांसदों और छोटे दलों से संपर्क में हैं. छोटे दलों के साथ बातचीत चल रही थी, लेकिन कोई बड़ा समर्थन अभी तक सामने नहीं आ पाया है. गठबंधन की रणनीति में यह भी है कि वे इस चुनाव को 2024 लोकसभा चुनाव के बाद अपनी एकजुटता का प्रदर्शन करें.