बिहार NDA में सीट बंटवारे का ऐलान, 101-101 पर JDU-BJP, चिराग-29 और मांझी-कुशवाहा के हिस्से 6-6 सीटें

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए एनडीए में सीट शेयरिंग के फॉर्मूले पर सहमति बन गई है. जेडीयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. संजय कुमार झा ने सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी दी है. इस लिस्ट के मुताबिक बीजेपी और जेडीयू 101-101 सीटों पर लड़ेंगे.

एनडीए में सीट बंटवारा: सीट शेयरिंग के फॉर्मूले के तहत जनता दल यूनाइटेड और भारतीय जनता पार्टी 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे, जबकि चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) 29 सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी. वहीं जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा के हिस्से में 6-6 सीटें आईं हैं.”एनडीए के सभी दलों के नेता और कार्यकर्ता साथी इसका हर्ष के साथ स्वागत करते हैं और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को प्रचंड बहुमत के साथ फिर से मुख्यमंत्री बनाने के लिए संकल्पित एवं एकजुट हैं. बिहार है तैयार, फिर से एनडीए सरकार.”- डॉ. संजय कुमार झा, राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष, जनता दल यूनाइटेड

एनडीए में अब कोई बड़ा भाई नहीं: सीट बंटवारे से ये साफ हो गया कि अब बिहार एनडीए में कोई बड़ा भाई नहीं है. बीजेपी और जेडीयू इस बार बराबर-बराबर यानी 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे, जबकि इसके पहले के सभी विधानसभा चुनावों में नीतीश कुमार की पार्टी को बीजेपी से अधिक सीटें मिलती थी.

क्या है वजह?: वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण बागी कहते हैं कि पहली बार एनडीए अब ना कोई बड़ा भाई रहा ना कोई छोटा भाई. इसका एक बड़ा कारण यह भी माना जा सकता है कि 2024 लोकसभा चुनाव में बीजेपी और जेडीयू को 12-12 सीटों पर जीत मिली थी, जबकि बीजेपी ने जेडीयू से एक अधिक सीट 17 सीट पर लड़ी थी.

“जदयू और भाजपा के बीच हमेशा यह रहता था कि बड़े भाई और छोटे भाई को लेकर सवाल उठता था तो इस बार उसे समाप्त कर दिया गया है. लोकसभा चुनाव 2024 में भी बीजेपी बड़े भाई की भूमिका में आ गई थी और उससे पहले नीतीश कुमार जब भी एनडीए में चुनाव लड़ते रहे हैं, हमेशा बड़े भाई की भूमिका में ही रहे हैं.”- प्रवीण बागी, वरिष्ठ पत्रकार

घाटे में जीतनराम मांझी: केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी को मनमुताबिक सीटें नहीं मिली. वह 15-20 सीट चाहते थे लेकिन मात्र 6 सीटें मिलीं. 2020 की तुलना में उनको एक सीट का घाटा हुआ है. पिछली बार उन्होंने 7 सीटों पर लड़कर 4 पर जीत हासिल की थी लेकिन इस बार 15 की डिमांड के बावजूद सीट बढ़ाने की बजाय कम कर दी गई.”6 सीट हमें मिली है तो ये आलाकामन का निर्णय है, इसे हम स्वीकार करते हैं. हमें जो मिला है, उससे हम संतुष्ट हैं. हमें कोई शिकायत नहीं है.”- जीतनराम मांझी, केंद्रीय मंत्री सह हम संरक्षक

चिराग ने मारी बाजी: राजनीतिक विशेषज्ञ प्रिय रंजन भारती का कहना है चिराग पासवान ने कुल मिलाकर एनडीए में बाजी मार ली है. इसका बड़ा कारण यह रहा कि 2020 में जिस प्रकार से उन्होंने जेडीयू और बीजेपी को डैमेज किया था. लिहाजा इस बार जेडीयू और बीजेपी ने कोई रिस्क नहीं लिया है.

“29 सीट उन्हें देकर उनकी शर्तों को मान लिया है, क्योंकि चिराग पासवान लगातार कहते रहे हैं कि 5 लोकसभा की सीट उनके पास है. उस हिसाब से 30 सीट मिलनी चाहिए. एक सीट कम जरूर मिली है लेकिन इस पर समझौता हो गया है और इस आधार पर हम और राष्ट्रीय लोक मोर्चा को भी सीटें दी गई है.”- प्रिय रंजन भारती, राजनीतिक विशेषज्ञ

2020 में कितनी सीटों पर कौन लड़ी?: 2020 विधानसभा चुनाव में जेडीयू ने सबसे अधिक 115 सीटों पर लड़ा था, जबकि बीजेपी ने 110 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. वहीं, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा को 7 सीटें दी गईं थीं. चिराग पासवान ने अकेले 135 सीटों पर चुनाव लड़ा था. वहीं उपेंद्र कुशवाहा भी एनडीए से अलग थे, उनकी पार्टी ने 104 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे.

2020 का परिणाम: एनडीए में 74 सीटों के साथ बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, जबकि जेडीयू को 43 सीटों पर जीत मिली थी. वहीं, हम पार्टी के हिस्से में 4 सीटें आईं थीं. वहीं एनडीए से अलगे लड़ने वाले चिराग को एक सीट पर सफलता मिली, जबकि उपेंद्र कुशवाहा का खाता भी नहीं खुला. इसके अलावे मुकेश सहनी भी उस समय एनडीए में थे. उन्होंने 11 सीटों पर लड़कर 4 पर जीत हासिल की.