लखनऊ: ‘लोकतांत्रिक व्यवस्था में न्यायिक तंत्र का अहम रोल है. प्राचीन काल में उसे ही रामराज्य कहा जाता था, जहां पर कहीं भेदभाव न होता हो. इसलिए आधुनिक भारत में डिजिटल प्लेटफॉर्म, ई-कोर्ट प्रणाली की दिशा में काम हुआ. AI और डिजिटल एजुकेशन की उपयोगिता बढ़ाई जा रही है. यह गौरव का क्षण है, कि अमृतकाल में भारतीय न्याय संहिता, भारतीय सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य संहिता लागू की गई.’ यह बातें प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ के डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के चौथे दीक्षांत समारोह में कहीं.
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के अलावा सुप्रीम कोर्ट के आगामी चीफ जस्टिस सूर्यकांत बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे थे. जस्टिस विक्रम नाथ बतौर अतिथि कार्यक्रम में शामिल हुए. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि बार और बेंच में जब कोऑर्डिनेशन होता है, तब रूल आफ लॉ लागू होता है.
एक ही कैंपस में जिले स्तर के सभी कोर्ट की व्यवस्था देना शुरू किया है. पहले हमारे डीजे के चेंबर में एसी नहीं था. अब लग गया है. यह लग्जरी नहीं जरूरत का सामान है, जिससे जब बार को कभी गुस्सा आए तो एसी के जरिए उनका गुस्सा शांत हो सके. इलाहाबाद हाईकोर्ट आज देश में बेहतर है.मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि महिलाओं से जुड़े मामले में 380 फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने में सरकार ने सहायता की है. लोक अदालत की दिशा में भी काम किया गया है. लखनऊ में फॉरेंसिक लैब भी बनाई है. मुझे उम्मीद है, कि इन कोशिशों से कुशल न्याय देने में हम सफल होंगे.
मुख्यमंत्री ने कहा कि कुलपति ने जो दीक्षा उपदेश दिया है, उसके पहले दो शब्द बहुत ही महत्वपूर्ण है. सत्य बोलो और धर्म की रक्षा करो. यह दो शब्द हमारे लिए जीवन पद्धति का हिस्सा हैं. उपासना सबकी अलग हो सकती है, पर धर्म सभी का एक है.
सीएम योगी ने कहा कि भारत के महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक हमारी न्यायपालिका के शीर्ष न्यायमूर्तियों के करकमलों से आप सभी उपाधिधारकों ने अपनी डिग्री प्राप्त की है. नि:स्संदेह यह आपके जीवन का सबसे स्वर्णिम और गौरवपूर्ण दिन है. आप सभी को हृदय से बधाई देता हूं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत में सत्य और धर्म का आचरण करना केवल संसद की ही नहीं, बल्कि न्यायपालिका की भी सर्वोच्च जिम्मेदारी है. धर्मो रक्षति रक्षितः यह वाक्य हम सबको निरंतर अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक करता है. इसी भावना के साथ भारत निरंतर न्याय और सत्य की दिशा में आगे बढ़ रहा है. उत्तर प्रदेश सरकार ने भी इस व्यवस्था को और अधिक सशक्त करने के लिए अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं.
प्रदेश के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में छात्रों के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म प्रणाली, अल्टरनेटिव डिस्प्यूट रेजोल्यूशन (ADR), साइबर लॉ, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डिजिटल एजुकेशन जैसे उभरते विषयों में विशेष प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई है.
सीएम योगी ने कहा कि हमारे न्यायिक प्रशिक्षण, अनुसंधान संस्थान में आधुनिक स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स, अत्याधुनिक प्रशिक्षण कक्षाएं और न्यायिक, प्रशासनिक अधिकारियों, अभियोजन अधिकारियों, पुलिस बल के लिए सतत प्रशिक्षण, स्किल डेवलपमेंट कार्यक्रम शुरू किए गए हैं.
उत्तर प्रदेश में इंटीग्रेटेड कोर्ट कॉम्प्लेक्स के निर्माण का कार्य प्रारंभ किया गया है. एक ही कैंपस में न्यायालय, अधिवक्ताओं के लिए सुविधाएं, स्टाफ के लिए आवास और सभी आवश्यक व्यवस्थाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं.
जिला न्यायालयों में अत्याधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, बेहतर चेंबर और न्यायिक कार्य को सहज बनाने वाली प्रणालियों का विकास किया जा रहा है. इसके लिए डिजिटल डिपोजिशन राइटर प्रणाली को भी मंजूरी दी गई है, जिससे गवाही और दस्तावेजी कार्यवाही अधिक पारदर्शी हो सके.मुख्यमंत्री ने कहा कि यह दीक्षांत समारोह आप सभी छात्र-छात्राओं के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश और देश के लिए गर्व का क्षण है. मैं सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति विक्रांत नाथ और सूर्यकांत का अभिनंदन करता हूं.
न्यायमूर्ति सूर्यकांत को सुप्रीम कोर्ट के सर्वोच्च पद की जिम्मेदारी के लिए हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं. मुझे विश्वास है, कि उनके नेतृत्व में भारतीय न्यायपालिका नई ऊंचाइयों को प्राप्त करेगी. राज्य सरकार न्याय व्यवस्था को अधिक पारदर्शी, त्वरित, आधुनिक और जन केंद्रित बनाने के लिए प्रतिबद्धता से कार्य करती रहेगी.
इस मौके पर भविष्य के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया सूर्यकांत ने एक किस्सा शेयर किया. उन्होंने कहा कि ओवर कॉन्फिडेंस में अपने वकालत के समय मैं एक केस हार गया. इसके बाद नोटबुक रखने लगा. केस जीतने से ज्यादा महत्वपूर्ण न्याय मिलना है.
उन्होंने कहा कि अपने काम के दौरान खुद से पूछे गए सवाल बेहद अहम होंगे. जैसे मैंने तैयारी ठीक की थी? मैंने बहस ठीक से की थी. यह सवाल बहुत ही महत्वपूर्ण होते हैं.
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि 15 साल की प्रैक्टिस के बाद आप यह सवाल खुद से पूछेंगे कि क्या मेरे केस में आने वाला जजमेंट आगे के 100 केस को हल करने में सहायता करेगा. याद रखिए कि हर क्लाइंट आपके पास केस लेकर आता है. पर कुछ केस आप किस स्तर के हैं, यह सोचने पर मजबूर करेगा. केस जीतने से ज्यादा महत्वपूर्ण है, कि जस्टिस मिले.
जस्टिस विक्रम नाथ ने कहा कि जब मुझे 2023 में यहां का विजिटर बनाया गया था. तब यह ऑडिटोरियम नहीं था. मेरे कहने से विश्वविद्यालय को यह ऑडिटोरियम मिला है. सबसे अच्छा यह है, कि 2200 सीट का बेहतरीन ऑडिटोरियम बनकर तैयार हुआ है. पिछले साल फ्लाइट डिले होने के कारण कार्यक्रम में नहीं शामिल हो पाया था. उन्होंने कहा कि समाज के लिए कोई काम आप करेंगे तब आप सभी खुश रहेंगे.
इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस अरुण कुमार भंसाली ने कहा कि विधि का क्षेत्र समय के साथ कई महत्वपूर्ण सबक सिखाता है. वर्षों के अनुभव से मैंने यह जाना है, कि मौन की आदत विकसित करना बहुत आवश्यक है.
राम मनोहर लोहिया विधि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अमरपाल सिंह ने कहा कि समारोह में शामिल होने वाले सभी अतिथियों का स्वागत करता हूं. जस्टिस सूर्यकांत बेहद आईकॉनिक फिगर हैं. उन्होंने साबित किया है, कि कैसे किसान का बेटा देश में कानून के सबसे ऊंचे पद पर काबिज हो सकता है. उन्होंने कहा कि तीन प्रोजेक्ट सेंटर आफ एक्सीलेंस के मिले हैं.
इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स भी हासिल हुए हैं. दो प्रोफेसर, सात एसोसिएट प्रोफेसर और सात असिस्टेंट प्रोफेसर कांट्रैक्ट बेस पर रिक्रूट हुए हैं. छात्रों से यही कहना चाहूंगा कि अर्थवती विद्या की जगह मूल्यवती विद्या को तरजीह देनी चाहिए. 19 साल के इतिहास में इस विश्वविद्यालय ने ढाई सौ से ज्यादा जज और ज्यूडिशियल सर्विस के अधिकारी दिए हैं.