बरेलीः एसआरएमएस रिद्धिमा में रविवार को नाटक “जामुन का पेड़” की प्रस्तुति हुई। “जामुन का पेड़” नाटक में सरकारी दफ्तर में पनपती अराजकता और भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया गया। जिसकी कहीं भी और कोई भी सुनवाई नहीं है। नाटक आरंभ होता है इसके मुख्य पात्र संपत लाल से। संपत लाल सड़क बनवाने की जानकारी लेने सचिवालय जाता है।वहां उसकी मुलाकात चपरासी चमन से होती है। जो उसे ऊपरी कमाई का मुर्गा समझता है। तभी मौसम खराब हो जाता है और संपत लाल को दफ्तर से भागना पड़ता है। वह सचिवालय परिसर से बाहर जाने की कोशिश करता है।
इसी समय वहां लगा जामुन का पेड़ गिर जाता है और संपत लाल उसके नीचे दब जाता है। उसे बचाने के लिए कल्लू माली और चमन चपरासी दौड़ते हैं। लेकिन पेड़ के नीचे दबे संपत को बचाने में दफ्तर के कर्मचारी रामपाल और बाबूराम रुचि नहीं दिखाते, बल्कि नियम कानून का सहारा लेकर फाइल को किसी और विभाग में भेज देते हैं। फिर वो फाइल इस ऑफिस से उस ऑफिस में घूमती रहती है। आंधी में गिरने वाला ये जामुन का पेड़ पिटोनिया राज्य के प्रधानमंत्री ने लगाया था। जिसके कारण पेड़ हटाने के लिए फाइल व्यापर विभाग से लेकर कृषि विभाग कभी हार्टिकल्चर विभाग तथा अन्य विभागों मे फाइल घूमती रहती है।अंत में पांच दिन बाद अपने देश के प्रधानमंत्री के आदेश पर पेड़ काटने की अनुमति मिल जाती है।लेकिन तब तक बहुत देर जाती है। सम्पत लाल मर जाता है। दफ्तर में इन भ्रष्टाचारियों की मदद न मिलने से एक आम आदमी संपत लाल मर जाता है। मशहूर साहित्यकार कृष्ण चन्दर की कहानी “जामुन का पेड़” का नाट्य रूपांतरण डा. अश्विनी कुमार ने किया। जबकि निर्देशन विनायक कुमार श्रीवास्तव ने किया। इसमें अभिनव ने सम्पत लाल, सौम्य ने चमन, सूर्य प्रकाश ने कल्लू माली, आशुतोष अग्निहोत्री ने सुपरिटेंडेंट रामपाल, शिवम यादव ने बाबूराम क्लर्क, सुनिधि मालिक ने ज्योति, आस्था शुक्ला ने मालती की भूमिका शानदार तरीके से निभाई। तीन कवियों की भूमिका में अंशुल चौहान, सोनालिका, शिवानी रहे। कांस्टेबल की भूमिका में जितेंद्र तथा डा. जोड़ सिंह की भूमिका प्रतुल सक्सेना रहे। इस मौके पर एसआरएमएस ट्रस्ट के संस्थापक व चेयरमैन देव मूर्ति, आशा मूर्ति, सुभाष मेहरा, डा.एमएस बुटोला, डा.प्रभाकर गुप्ता, डा.अनुज कुमार, डा.रीता शर्मा सहित शहर के गण्यमान्य लोग मौजूद रहे।