लखनऊ: नए संसद भवन में सेंगोल (राजदंड) को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष में सियासी संग्राम जारी है। इस बीच उत्तर प्रदेश में भी सेंगोल को लेकर राजनीति शुरू हो गई है। यहां बसपा प्रमुख मायावती ने सेंगोल के बहाने समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव को नसीहत दे दी है।
मायावती ने सोशल मीडिया अकाउंट ‘एक्स’ पर लिखा- ‘सेंगोल को संसद में लगाना या नहीं, इस पर बोलने के साथ-साथ सपा के लिए यह बेहतर होता कि यह पार्टी देश के कमजोर एवं उपेक्षित वर्गों के हितों में तथा आम जनहित के मुद्दों को भी लेकर केंद्र सरकार को घेरती। जबकि सच्चाई यह है कि यह पार्टी अधिकांश ऐसे मुद्दों पर चुप ही रहती है तथा सरकार में आकर कमजोर वर्गों के विरूद्ध फैसले भी लेती है। इनके महापुरुषों की भी उपेक्षा करती है। इस पार्टी के सभी हथकण्डों से जरूर सावधान रहें।’
सपा सांसद ने उठाई राजदंड को हटाने की मांग
इससे पहले सपा सांसद आर.के. चौधरी ने लोकसभा में अध्यक्ष के आसन के निकट सेंगोल (राजदंड) के स्थान पर संविधान की प्रति रखने की मांग की जिसको लेकर भाजपा और विपक्षी दलों के बीच जुबानी जंग छिड़ गयी है। विपक्षी नेताओं ने सपा सांसद का समर्थन किया तो भाजपा ने इसे भारतीय और तमिल संस्कृति का अपमान करार दिया।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को लिखे पत्र में चौधरी ने आग्रह किया कि सेंगोल को हटा दिया जाना चाहिए क्योंकि यह राजशाही का प्रतिनिधित्व करता है। भारत एक लोकतांत्रिक देश है लेकिन जब हमें आजादी मिली तो पुजारियों ने सुझाव दिया कि सत्ता हस्तांतरण का एक प्रतीक दिया जाना चाहिए इसलिए एक राजदंड तैयार किया गया। लॉर्ड माउंटबेटन ने इसे पंडित नेहरू को दिया लेकिन उन्हें अहसास हुआ कि इसका क्या मतलब था और फिर इसे इलाहाबाद के एक संग्रहालय में रखा गया था। इसे संसद में रखने की क्या आवश्यकता थी?
शहजाद पूनावाला ने कहा- ये भारतीय और तमिल संस्कृति का अपमान
इस पर बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि सपा ने भारतीय और तमिल संस्कृति का अपमान किया है। क्या द्रमुक और कांग्रेस चौधरी की टिप्पणी से सहमत हैं। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि संविधान को वहां रखने में क्या समस्या है? राजद सांसद मनोज झा और मीसा भारती ने भी सपा सांसद की मांग का समर्थन किया है।