रामनगरी में 1893 एकड़ में प्रस्तावित नव्य अयोध्या को आकार देने का काम तेज हो गया है। नव्य अयोध्या की डिजाइन आईआईटी रुड़की तैयार कर रही है। अब तक सड़कों, ड्रेनेज व सीवर का डिजाइन फाइनल हो चुका है। सड़कों का काम चल रहा है, जबकि ड्रेनेज व सीवर का डीपीआर भेजा जा चुका है। नव्य अयोध्या का ड्रेनेज सिस्टम इस तरह बनाया जाएगा जिससे मूसलाधार बारिश में भी यहां जलभराव नहीं होगा।
मांझा बरहटा, शाहनेवाजपुर, तिहुरा मांझा में अब तक जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है। योजना के लिए 90 प्रतिशत जमीन अधिग्रहीत की जा चुकी है। नव्य अयोध्या को आकार देने का काम तीन चरणों में किया जाएगा। पहले चरण में ड्रेनेज, सड़क, सीवर, बाउंड्रीवाल निर्माण काम प्रगति पर है।
रामायण की थीम पर आधुनिकता के समावेश के साथ विकसित होने वाली इस महत्वाकांक्षी परियोजना में जो निर्माण होंगे वे गुजरात के अहमदाबाद में बनी गिफ्ट सिटी के मानकों पर होंगे। पिछले दिनों आवास विकास विभाग के इंजीनियरों की एक टीम ने गिफ्ट सिटी का दौरा भी किया था। आवास विकास विभाग के अधीक्षण अभियंता पीके सिंह ने बताया कि नव्य अयोध्या का ड्रेनेज गिफ्ट सिटी के मानकों पर होगा। यहां बरसात में पानी नहीं भरेगा, जलभराव की त्वरित निकासी हो सकेगी। नव्य अयोध्या में अब तक सात राज्यों ने जमीन मांगी है। जबकि कई अन्य देशों ने भी नव्य अयोध्या में जमीन के लिए रुचि दिखाई गई।
इंडोनेशिया ने जमीन लेने की रुचि दिखाई
अधीक्षण अभियंता पीके सिंह ने बताया कि नव्य अयोध्या में अब सात राज्यों ने जमीन मांगी है। उत्तराखंड को 5253 वर्गमीटर जमीन आवंटित की जा चुकी है। गुजरात व महाराष्ट्र को जमीन आवंटित करने की प्रक्रिया चल रही है। इसके अलावा गोवा, मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ को जमीन देने की कार्रवाई भी आगे बढ़ रही हैं। वहीं इंडोनेशिया व थाईलैंड ने भी नव्य अयोध्या में जमीन लेने की रुचि दिखाई है। श्रीलंका व नेपाल पहले ही जमीन लेने की रुचि दिखा चुके हैं। विदेशी नीति के तहत इन्हें जमीन देने की कार्रवाई आगे बढ़ रही है।
नव्य अयोध्या में भूखंडों की अलग-अलग दरें
नव्य अयोध्या में आवासीय प्लाटों की दर 35,870 रुपये प्रति वर्ग मीटर, व्यावसायिक भूखंडों की बेस दर 71,740 रुपये प्रति वर्ग मीटर और मठ-मंदिरों आदि की 53,805 रुपये प्रति वर्ग मीटर तय है। आवासीय 400 भूखंडों की बिक्री सबसे बाद में की जाएगी। व्यावसायिक भूखंडों की नीलामी करके बेचा जाएगा। सबसे पहले मठ-मंदिरों, धर्मशालाओं, होटल, माॅल, स्कूल, कॉलेज अंतरराष्ट्रीय भवनों, राज्यों के गेस्ट हाउस आदि के लिए जमीन दी जा रही है।