राज्यपाल आरएन रवि को वापस बुलाने का निर्देश देने की मांग, SC ने खारिज की याचिका

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने भारत के राष्ट्रपति के सचिव और अन्य को तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि को उनके पद से तुरंत वापस बुलाने का निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया है. भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सोमवार को यह मामला आया. पीठ में जस्टिस संजय कुमार शामिल थे.

अधिवक्ता सीआर जया सुकिन ने यह याचिका दायर की थी. सुनवाई के दौरान पीठ ने सुकिन से कहा, “हम पहले से ही उन मामलों की जांच कर रहे हैं, जहां कुछ विधेयक पारित किए गए हैं.”

याचिकाकर्ता सुकिन ने कहा कि राज्यपाल ने संविधान का उल्लंघन किया है. जया सुकिन की दलील को स्वीकार करने से इनकार करते हुए पीठ ने कहा, “वह ऐसा नहीं कर सकते.”

सीजेआई ने याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए कहा, “जहां भी हमें लगा कि कोई मुद्दा है, हमने नोटिस जारी किया है और मामला लंबित है. यह आवेदन (राज्यपाल को वापस बुलाने का निर्देश मांगना) जो आपने किया है, संभव नहीं है. हम इसे स्वीकार नहीं कर सकते. हम संविधान से भी बंधे हैं.”

याचिका में तर्क दिया गया था कि सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों में कहा गया है कि राज्यपाल राजनीतिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकते हैं और सिर्फ संविधान में निर्दिष्ट कार्यों का निर्वहन कर सकते हैं.

याचिका में कहा गया है कि राज्यपाल को अपने पास निहित शक्ति की संवैधानिक सीमाओं के बारे में पता होना चाहिए और वह ऐसी शक्ति का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं जो उन्हें संविधान या उसके तहत बनाए गए किसी कानून द्वारा प्रदान नहीं की गई है.

याचिका में कहा गया है कि राज्यपाल ने लगातार द्रविड़ अवधारणा को एक खत्म हो चुकी विचारधारा से जोड़ा है, जिसने ऐसा माहौल बनाया है जो अलगाववादी भावना को बढ़ावा देता है और ‘एक भारत’ के विचार को पसंद नहीं करता है.

याचिकाकर्ता ने कहा कि तमिलनाडु के राज्यपाल तमिलनाडु की संस्कृति की आलोचना कर रहे हैं और द्रविड़ अवधारणा मानने के लिए तमिलनाडु के लोगों को अपमानित कर रहे हैं.

बता दें, 6 जनवरी 2025 को, तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने सदन में राष्ट्रगान नहीं बजाये जाने के विरोध में सत्र शुरू होने के तुरंत बाद विधानसभा से वॉकआउट कर दिया था.