अब रेल की पटरियों से होगा बिजली उत्पादन; बनारस रेल इंजन कारखाने ने की अनोखी शुरुआत

वाराणसी: बनारस रेल इंजन कारखाना ने बिजली उत्पादन के क्षेत्र में एक नई उपलब्धि हासिल की है. इसके तहत अब रेलवे की पटरियों से बिजली का उत्पादन होगा. बरेका ने भारत का पहला पोर्टेबल सौर पैनल सिस्टम सक्रिय रेलवे पटरियों के बीच स्थापित किया है. इसका ट्रायल सफल रहा.

भारत में अपनी तरह की अनोखी पहल: जनसंपर्क अधिकारी राजेश कुमार ने बताया कि बरेका की कार्यशाला की लाइन संख्या 19 पर स्थापित पायलट प्रोजेक्ट के तहत पोर्टेबल सोलर पैनल लगाया गया है. जिसे स्वदेशी डिजाइन से तैयार किया गया है. इसे विशेष इंस्टॉलेशन प्रक्रिया का उपयोग कर पटरियों के बीच लगाया गया है.

ट्रेन यातायात पर नहीं पड़ेगा कोई असर: राजेश कुमार ने कहा कि इस प्रक्रिया में ट्रेन यातायात पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा. वहीं पैनलों को जरूरत पड़ने पर आसानी से हटाने की सुविधा भी प्रदान की गई है. यह नवाचार बरेका परिसर में पहले से स्थापित रूफटॉप सोलर पावर प्लांट्स के साथ मिलकर हरित ऊर्जा उत्पादन को और गति देगा.

ये थीं चुनौतियां: जनसंपर्क अधिकारी ने कहा कि इस प्रकिया के तहत रेलवे ट्रैक से गुजरने वाली ट्रेनों को लेकर अलग अलग चुनौतियां थी. क्या ये सक्रिय पटरी पर स्थापित किया जा सकेगा, लेकिन ट्रायल के दौरान इन सभी चुनौतियां से निपटा गया और ट्रायल सफल रहा.

  • कंपन से सुरक्षा– ट्रेन गुजरने से उत्पन्न कंपन को कम करने के लिए रबर माउंटिंग पैड का उपयोग किया गया.
  • मजबूत फिक्सेशन– पैनलों को एपॉक्सी एडहेसिव से कंक्रीट स्लीपर पर चिपकाया गया, जिससे धातु-कंक्रीट का मजबूत बंधन सुनिश्चित हो.
  • सफाई और रखरखाव– पैनलों को धूल और मलबे से मुक्त रखने के लिए आसान सफाई व्यवस्था.
  • तेजी से हटाने की सुविधा– पटरियों के रखरखाव के लिए 4 एसएस. एलन बोल्ट के जरिए पैनलों को जल्दी हटाया जा सकता है.

लगभग 3.21 लाख यूनिट बिजली का होगा उत्पादन: जनसंपर्क अधिकारी राजेश कुमार ने कहा कि इस पहल से भविष्य में अपार संभावनाएं हैं. भारतीय रेलवे के 1.2 लाख किमी ट्रैक नेटवर्क में, यार्ड लाइनों का उपयोग कर इस तकनीक को व्यापक स्तर पर अपनाया जा सकता है.

बिजली उत्पादन सोलर पैनल के लिए भूमि अधिग्रहण की आवश्यकता नहीं होगी, बल्कि पटरियों के बीच की जगह का ही उपयोग होगा और लगभग 3.21 लाख यूनिट/वर्ष/किमी ऊर्जा का उत्पादन होगा.

सौर ऊर्जा के उपयोग का नया आयाम: BLW महाप्रबंधक नरेश पाल सिंह ने कहा कि बरेका का यह नवाचार, भारतीय रेलवे को नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य की ओर एक बड़ा कदम है. यह परियोजना न केवल सौर ऊर्जा के उपयोग का नया आयाम है, बल्कि यह भविष्य में भारतीय रेलवे के लिए हरित ऊर्जा का सशक्त मॉडल बनेगा.

परियोजना विवरण: तकनीकी मुख्य बिंदुओं पर एक नजर ॉ

  • ट्रैक की लंबाई: 70 मीटर
  • क्षमता: 15 किलोवाट पीक (KWp)
  • पैनलों की संख्या: 28
  • पावर डेंसिटी: 220 KWp/किमी
  • ऊर्जा घनत्व: 880 यूनिट/किमी/दिन

सोलर पैनल की ये है विशेषताएं

  • आकार: 2278×1133×30 मिमी
  • वजन: 31.83 किग्रा
  • मॉड्यूल दक्षता: 21.31%
  • 144 हाफ कट मोनो क्रिस्टलाइन PERC बाइफेसियल सेल्स
  • जंक्शन बॉक्स IP: 68, अधिकतम सिस्टम वोल्टेज: 1500 V