लखनऊ: आम आदमी पार्टी उत्तर प्रदेश के मुख्य प्रवक्ता वंशराज दुबे ने राज्य सरकार के बिजली के निजीकरण के प्रस्ताव पर कड़ा विरोध जताया है. उनका कहना है कि इस कदम से न सिर्फ 50 हजार संविदा कर्मियों की नौकरियां जा रही हैं, बल्कि इसके परिणामस्वरूप प्रदेश के उपभोक्ताओं को महंगी बिजली का सामना करना पड़ेगा.
यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक तरफ राज्य सरकार जनता को सरकारी विभागों में कोई नई भर्ती नहीं दे रही है, दूसरी तरफ जो संविदा कर्मी पहले से ही काम कर रहे हैं, उनकी नौकरी भी छीन ली जा रही है. 50 हजार कर्मियों के बेरोजगार होने से उनके परिवारों के सामने आजीविका का संकट खड़ा हो जाएगा. यह सरकार की नाकामी का एक उदाहरण है, जो रोजगार सृजन के बजाय लोगों को बेरोजगार कर रही है.
उन्होंने कहा कि यह सरकार जनता की भलाई की जगह निजी कंपनियों को लाभ पहुंचाने की सोच रही है. पहले से ही महंगी होती बिजली दरों का और बढ़ना प्रदेश के आम आदमी के लिए एक गंभीर संकट होगा. बिजली का निजीकरण राज्य की जनता के लिए एक बड़ा आर्थिक बोझ बनेगा. निजी कंपनियां बिजली की दरों को बढ़ा सकती हैं, जिससे आम आदमी को महंगी बिजली मिलेगी.
उनका कहना है कि एक तरफ दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार जनता को मुफ्त बिजली दे रही है और दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश सरकार अपने ही लोगों को महंगी बिजली और बेरोजगारी की ओर धकेल रही है. दिल्ली में बिजली की दरें कम करने और मुफ्त बिजली देने के आम आदमी पार्टी ने साबित किया है कि कैसे एक जिम्मेदार सरकार अपने नागरिकों की भलाई के लिए काम करती है, जबकि उत्तर प्रदेश सरकार जनता के हितों को नजरअंदाज कर रही है.
आप प्रवक्ता ने सरकार से मांग की है कि सरकार को बिजली के निजीकरण के फैसले को वापस लेना चाहिए और प्रदेश के 50 हजार संविदाकर्मियों की नौकरी को बचाना चाहिए. सरकार का यह कदम न सिर्फ बेरोजगारी बढ़ाएगा, बल्कि प्रदेश के लोगों को भी आर्थिक संकट में डाल देगा.