लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को विधान सभा में महिला सुरक्षा के मुद्दे पर बोलते हुए समाजवादी पार्टी पर करारा हमला किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार महिला सुरक्षा को लेकर पूरी तरह गंभीर है। इस गंभीरता का परिणाम है कि महिला और बाल अपराध से जुड़े मामलों में लगातार कमी आ रही है। अपराधियों के मन में कार्रवाई का भय है। सीएम योगी ने कहा कि प्रदेश के अंदर सरकार आने के बाद सबसे पहले हमने शोहदों पर लगाम कसने के लिए जो कार्रवाई की, एंटी रोमियो स्क्वाड इसका एक उदाहरण है। बताते हुए दुख होता है कि एंटी रोमियो स्क्वाड का जब गठन हुआ तब सबसे पहले इसका विरोध समाजवादी पार्टी ने ही किया था।
उन्होंने कहा, ये बोलने में भी कोई संकोच नहीं है कि महिला संबंधी अपराधों के मामलों में डायरेक्ट या इनडायरेक्ट समाजवादी पार्टी से जुड़े लोग ही इनवॉल्व पाए जाते हैं। महिला संबंधी अपराध में ये उस पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते हैं जिसने कहा था कि लड़के हैं गलती कर देते हैं। ये लोग सुरक्षा की बात क्या करेंगे। महिला सुरक्षा के लिए ये समाजवादी खुद ही एक गंभीर खतरा हैं। इसलिए महिला सुरक्षा को लेकर प्रदेश सरकार पूरी तरह सचेत और सक्रिय है। हमारी सरकार प्रदेश में हर बेटी को और हर व्यापारी को सुरक्षा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।
2016 की तुलना में महिला अपराधों में आई उल्लेखनीय कमी
महिला सुरक्षा से संबंधित एक प्रश्न का जवाब देते हुए सीएम योगी ने सदन में कहा कि महिला और बाल सुरक्षा से जुड़े मुद्दे दो प्रकार के होते हैं। एक घर के अंदर और दूसरा घर के बाहर। दोनों मुद्दों को ध्यान में रखकर सरकार ने ठोस कदम उठाए हैं। 2016 से तुलना करें तो सभी तरह के मामलों में कमी देखने को मिलेगी। 2016 की तुलना में दहेज जैसी घटनाओं के बारे में देखें तो 2023-24 के बीच में लगभग 17.5 प्रतिशत की कमी आई है। 2016 की तुलना में 2023-24 में बलात्कार की घटनाओं में 25.30 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। 2017 से लेकर 2024 के बीच में जो नाबालिग बच्चे हैं , उनके खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामलों में प्रदेश सरकार ने अपने प्रॉसीक्यूशन विंग को मजबूत किया है, जिसका परिणाम आज सबके सामने है। इस दौरान 24 हजार 402 प्रकरणों में अभियुक्तों को अब तक सजा दिलाई जा चुकी है। 2017-24 के बीच पॉक्सो एक्ट में 9875 अभियोगों में सजा दिलाई गई है।
2022 से 2024 के मध्य महिलाओं के विरुद्ध पॉक्सो अपराध में 16,718 अभियुक्तों को सजा दी गई है, जिसमें 21 को मृत्युदंड, 17,013 को आजीवन कारावास, 4653 को दस वर्ष या उससे अधिक का कारावास और 10,331 को दस वर्ष से कम के कारावास की सजा दी गई है।
महिला अपराधों के निस्तारण में यूपी नंबर वन
सीएम योगी ने बताया कि प्रदेश में इस दिशा में कई अन्य प्रयास भी हुए हैं। इन्वेस्टिगेशन ट्रैकिंग सिस्टम फॉर सेक्सुअल ऑफेंसेज को लेकर भारत सरकार ने जो अपना पोर्टल तैयार किया है उसको हमने 2018 में ही एक्टिव कर दिया है। इसके तहत प्रदेश के अंदर प्रॉपर मॉनीटरिंग की गई है, जिसका परिणाम है कि पेंडेंसी रेट में तेजी से कमी दर्ज की गई है। पेंडेंसी रेट में उत्तर प्रदेश, देश में दूसरे स्थान पर है, जबकि इन मामलों के तहत अपराधियों को सजा दिलाने के मामले में उत्तर प्रदेश तीसरे स्थान पर है। ई प्रॉसीक्यूशन में उत्तर प्रदेश देश में नंबर एक स्थान पर है। महिला और बाल अपराध संबंधी अभियोगों के निस्तारण में यूपी देश में प्रथम स्थान पर है। इस दौरान लगभग 98 प्रतिशत से अधिक मामलों का निस्तारण किया गया है। घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं के लिए 181 की सेवा है, जबकि बाहर के अपराधों के लिए 1090 की सेवा उपलब्ध कराई गई है। इन सब सेवाओं को 112 के साथ इंटीग्रेड किया गया है। यही नहीं, प्रदेश के अंदर हर जनपद में एक महिला थाना स्थापित करने के साथ ही एक अतिरिक्त थाने की जिम्मेदारी भी महिला थानाध्यक्ष को उपलब्ध कराई गई है। प्रदेश में 1585 थानों में अलग से एक महिला हेल्प डेस्क बनाई गई है।
5 वर्षों में की महिला पुलिस कार्मिकों की दोगुनी भर्ती
सीएम योगी ने बताया कि 2020 से हमारी सरकार ने मिशन शक्ति के अभियान को आगे बढ़ाया है। इसके अंतर्गत पिछले 7 वर्ष में लगभग डेढ़ लाख पुलिस कार्मिकों की भर्ती की गई है। 2017 के पहले तक कुल 10 हजार महिला कार्मिकों की भर्ती हुई थी, जबकि 2017 से 2022-23 के बीच प्रदेश में 20 हजार से अधिक महिला पुलिस कांस्टेबल की भर्ती करने में सफलता प्राप्त हुई है। यानी आजादी के बाद 70 वर्षों में जितनी महिला पुलिस कार्मिकों की भर्तियां हुई थीं, उससे दोगुनी भर्ती महज 5 वर्षों में हमने की है। पुलिस की भर्ती में महिलाओं को 20 प्रतिशत हॉरिजेंटल रिजर्वेशन की व्यवस्था प्राप्त हो सके, इसको अनिवार्य रूप से लागू किया गया।
लखनऊ, गोरखपुर और बदायूं में महिला पीएसी के गठन की कार्रवाई को आगे बढ़ाया। जो पुलिस कार्मिक महिलाएं भर्ती हुईं वो केवल ऑफिस या थाने तक ही सीमित न रहें, बल्कि महिलाओं की सुरक्षा के साथ-साथ शासन की योजनाओं को उन तक पहुंचाने में भी सहयोगी बने, इसके लिए प्रदेश के अंदर 10 हजार से अधिक महिला बीट स्टेशन तैयार किए गए, महिला पिंक बूथ की स्थापना की गई। ये भी व्यवस्था की गई कि ये महिला बीट पुलिस अधिकारी मिशन शक्ति के अंतर्गत हर सप्ताह महिलाओं के पास जाएं और महिला संबंधी मुद्दों पर चर्चा करें। यही नहीं, मुद्दों के समाधान के साथ ही महिलाओं की सुरक्षा, उनके स्किल डेवलपमेंट, उनके स्वावलंबन से संबंधित योजनाओं से महिलाओं को अवगत कराएं।