स्पोर्ट्स डेस्क: पेरिस ओलंपिक में रविवार को महान एथलीट और 2008 में ओलंपिक में भारत को पहला व्यक्तिगत गोल्ड मेडल दिलाने वाले अभिनव बिंद्रा ने मनु भाकर और उनके कोच जसपाल राणा से मुलाकात की। ओलंपिक में पदक जीतने वाली भारत की पहली महिला बनकर इतिहास रचने वाली भाकर को रविवार को प्रतियोगिता के बाद बिंद्रा ने बधाई दी।
अभिनव बिंद्रा ने मनु के पोडियम फिनिश के ठीक बाद ट्विटर पर मीट की तस्वीरें पोस्ट कीं। भाकर की जीत ने ओलंपिक में शूटिंग में भारत के पदक के सूखे को भी खत्म किया। भारत ने 2012 के लंदन ओलंपिक के बाद से शूटिंग पदक नहीं जीता था। अभिनव बिंद्रा ने लिखा, ‘चैंपियन और उनके कोच और मेरे पूर्व साथी महान जसपाल राणा के साथ।’
बिंद्रा ने मनु भाकर को दी बधाई
बिंद्रा ने पेरिस ओलंपिक में उपलब्धि के लिए मनु को बधाई देते हुए लिखा- पेरिस 2024 में एयर पिस्टल स्पर्धा में कांस्य पदक जीतने के लिए मनु भाकर को हार्दिक बधाई! आपके अथक समर्पण, कड़ी मेहनत और जुनून से ये संभव हो पाया है। आपके कौशल और दृढ़ संकल्प को देखना अविश्वसनीय है, जो प्रत्येक शॉट के साथ भारत को गौरवान्वित करता है। यह उपलब्धि आपकी दृढ़ता और दृढ़ संकल्प का प्रमाण है। चमकते रहो, मनु!
Heartiest congratulations to Manu Bhaker for clinching the bronze medal in the air pistol event at Paris 2024! 🥉 Your relentless dedication, hard work, and passion have truly paid off. It's incredible to witness your skill and determination, bringing pride to India with each…
— Abhinav A. Bindra OLY (@Abhinav_Bindra) July 28, 2024
कोच जसपाल राणा हुए भावुक
वहीं, मनु के सफल होने पर कोच जसपाल राणा भावुक हो गए। उन्होंने कहा- मैं बहुत राहत महसूस कर रहा हूं। अपने लिए नहीं मनु भाकर के लिए, आखिर वह ओलंपिक पदक विजेता बन गई। मैंने मनु के पदक के लिए कोई जादू नहीं किया है। यह उसकी मेहनत और लगन है। सही मायनों में वह चैंपियन शूटर है। मानसिक रूप से बेहद मजबूत है। वह सिर्फ मेरी आंखों से इशारा समझ जाती है। मैंने न तो क्वालिफाइंग दौर में उसको कुछ ज्यादा कहा और न ही फाइनल के दौरान। मैं दर्शक दीर्घा में चुपचाप आकर बैठ गया। मनु ने भी देख लिया कि उनका कोच कहां बैठा है। बस इतना ही काफी था। ऐसा विशेष जुड़ाव बहुत कम होता है।
जसपाल ने कहा कि मैं पूरी तरह अनुशासन पसंद व्यक्ति हूं। मैं अपने शिष्य से भी यही उम्मीद करता हूं। मनु को मैंने तैयारियों का जो भी कार्यक्रम दिया, उसने पूरा करके दिखाया। यह उसी की मेहनत है जो रंग लाई है। बीते वर्ष एशियाड से पहले वह मेरे साथ दोबारा जुड़ी। वह सुबह साढ़े पांच बजे लेकर रात नौ बजे तक मेहनत करती रही। इनमें योग, फिजियो, ध्यान, अभ्यास सब कुछ शामिल है। ऐसा नहीं है कि मनु से अलगाव के बाद सिर्फ उसने सब कुछ सहा। मैं भी टूट गया था। मुझे ऐसा लगता था, किसी ने मेरी हरी-भरी बगिया को उजाड़ दिया था, लेकिन अंत भला तो सब भला। सच्चाई तो यह है कि जिस ओलंपिक चयन नीति को एनआरएआई ने तैयार किया। उसी के चलते मनु की 10 मीटर एयर पिस्टल में भारतीय टीम में वापसी हुई। इस चयन नीति ने हम दोनों को अंदर से इतना मजबूत बनाया कि हमने ठान लिया कि इस नीति पर विजय पाकर दिखानी है।
जीत पर क्या बोलीं मनु भाकर?
अपनी जीत के बाद उत्साहित भाकर ने कहा कि वह पोडियम फिनिश से खुश हैं। हालांकि, भाकर को दुख है कि वह रजत पदक से महज 0.1 अंक से चूक गईं। उन्होंने अपने प्रशिक्षण के बारे में बात की और बताया कि कैसे ये संभव हुआ। मनु ने कहा कि मेरे सभी प्रयास किए जो मैं कर सकती थी और मुझे पता था कि जिस क्षण मैं फायरिंग लाइन पर थी, मुझे पता था कि मैंने बहुत मेहनत की है और इन आखिरी सेकंड में मुझे हार नहीं माननी है। मुझे बस कठिन और कठिन प्रयास करते रहना है। यह दिन के सिर्फ 30 मिनट में होता है। तो अगर आप उस 30 मिनट में खुद का आत्मविश्वास बढ़ाने में कामयाब रहते हैं तो काफी है। मैं वास्तव में आभारी हूं। हालांकि प्रतियोगिता बहुत कठिन थी। मैंने 0.1 अंक से रजत खो दिया, लेकिन मैं आभारी हूं कि मैं अपने देश के लिए कांस्य पदक जीत सकी और मुझे उम्मीद है कि हमारे पास कई और पदक आने वाले हैं। मनु ने स्टेडियम में मौजूद भारतीय समर्थकों का शुक्रिया अदा किया, जिन्होंने महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा का उत्साह बढ़ाया।