नई दिल्ली: नगीना लोकसभा सीट से सांसद चंद्रशेखर आजाद SC -ST एक्ट के आरक्षण के अंदर कोटा देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से खुश नहीं हैं. उन्होंने इस फैसले पर असहमति जताते हुए कहा कि मैंने माननीय सर्वोच्च न्यायालय का पूरा आदेश नहीं पढ़ा है. मैं उसे स्टडी करूंगा. यह बहुतम महत्वपूर्ण है. क्योंकि आदेश में बाबा साहेब आंबेडकर के कई कोट का इस्तेमाल किया गया है.
चंद्रशेखर आजाद ने आगे कहा कि बड़ी बात ये है कि हमने अंग्रेजों के सामने डिवाइड एंड रूल की पॉलिसी सुनी थी. वही फिर से हो रहा है.. शेड्यूल कास्ट और शेड्यूल ट्राइब में जो एकता हो रही है उसे तोड़ने का काम किया जा रहा है. मुझे ये भी देखना है कि सुप्रीम कोर्ट में जिन जजों ने ये ऑर्डर किया है उसमें से एससी-एसटी वर्ग के कितने जज हैं.
सुप्रीम कोर्ट से ही हो वर्गीकरण की शुरुआत
चंद्रशेखर यहीं नहीं रुके. उन्होंने आगे कहा कि अगर आप वर्गीकरण करना ही चाहते हैं तो सर्वोच्च न्यायालय से इसकी शुरुआत होनी चाहिए. वहां लंबे समय से कुछ परिवार ने ही कब्जा कर रखा है. चलो शेड्यूल कास्ट में से किसी को तो आप घुसने नहीं दे रहे हैं, लेकिन क्या सामान्य जाति में किसी और लोगों में अवसर नहीं है, लेकिन आप उनको भी मौका नहीं दे रहे हो. अगर आपको वर्गीकरण की शुरुआत करनी है तो सर्वोच्च संस्थान यानी सुप्रीम कोर्ट से ही करनी चाहिए.
‘क्या पुराने फैसलों की मॉनिटरिंग की’
चंद्रशेखर ने सर्वोच्च न्यायालय के पुराने फैसले का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा, “क्या सुप्रीम कोर्ट ने कभी मॉनिटरिंग की अपने पुराने फैसले की. रिजर्वेशन में प्रमोशन का. क्या आपने मॉनिटिरंग की. एससी एसटी का बैकलॉग भरा गया या नहीं, कभई आपने इसकी मॉनिटरिंग की है. क्या आपको जानकारी है इनको कितना आरक्षण मिल रहा है. उनकी आर्थिक स्थिति के क्या आंकड़े हैं आपके पास. बंद कमरे में बैठकर कुछ भी फैसला ले लिया जाएगा.”
जल्द लिया जाएगा आगे का फैसला
चंद्रशेखर ने ये भी कहा कि इस बेंच में एक जज बेला त्रिवेदी जी, उनके फैसले पर बाकी जजों ने असहमति जताई. इसको भी स्टडी करना पड़ेगा. यह बहुत बड़ा विषय है. अगर कोई हमें गलत मंशा से बांटने का प्रयास करेगा तो ठीक नहीं होगा. मैं ये भी देखूंगा कि इस फैसले का विरोध करने वाले और समर्थन करने वाले वकील किस जाति के थे. सभी चीजों को देखने के बाद इस पर आगे का फैसला लिया जाएगा.