नई दिल्ली: दूरसंचार क्षेत्र की तीन प्रमुख कंपनियों द्वारा शुल्क दर में बढ़ोतरी किए जाने के बाद कांग्रेस ने शुक्रवार (पांच जुलाई) को केंद्र सरकार पर निशाना साधा। कांग्रेस ने कटाक्ष किया कि यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के तीसरे कार्यकाल का जनता के लिए उसके ‘मित्रवादी पूंजीवाद’ का ‘प्रसाद’ है।
कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने सवाल किया कि मोदी सरकार ने 109 करोड़ सेल फोन उपभोक्ताओं की जेब से 34,824 करोड़ रुपये की वसूली की अनुमति क्यों दी? हाल ही में तीन प्रमुख दूरसंचार कंपनियों रिलायंस जियो, एयरटेल और वोडाफोन आइडिया ने ढाई साल के अंतराल के बाद मूल्य वृद्धि की घोषणा की। सबसे पहले सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस जियो ने यह कदम उठाया। उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान के सेल फोन मार्केट में सिर्फ तीन सेल फोन ऑपरेटर हैं। रिलांयस जियो के 48 करोड़, एयरटेल के 39 करोड़ और वोडाफोन आइडिया के 22 करोड़ 37 लाख उपभोक्ता हैं।
तीनों कंपनियों से की गई सलाह
रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि ट्राई की एक रिपोर्ट के अनुसार सेल फोन कंपनियां अपने हर सेल फोन ग्राहक से 152.55 पैसे प्रति माह कमाती हैं। उन्होंने कहा 27 जून को रिलायंस जियो ने अपने रेट 12 प्रतिशत से 27 प्रतिशत बढ़ा दिए। 8 जून को एयरटेल ने अपने रेट 11 प्रतिशत से 21 प्रतिशत बढ़ा दिए। 29 जून को वोडाफोन आइडिया ने भी अपने रेट 10 प्रतिशत से 24 प्रतिशत बढ़ा दिए। सुरजेवाला का कहना था कि साफ है कि तीनों कंपनियों ने सलाह कर सिर्फ 72 घंटे में सेलफोन की शुल्क दर बढ़ाने की घोषणा की।
रिलायंस जियो के हर यूजर पर 30.51 रुपये की बढ़त
सुरजेवाला ने कहा अगर हम सेल फोन कंपनियों का औसत देखें तो पता चलेगा कि रिलायंस जियो के हर यूजर पर 30.51 रुपए की बढ़त हुई है। यानी सालाना 17,568 करोड़ रुपये अतिरिक्त वूसल किए जाएंगे। एयरटेल के ग्राहकों पर 22.88 रुपये की बढ़त हुई है। यह सालाना 10,704 करोड़ रुपये होगा। वोडाफोन के उपभोक्ता पर 24.40 रुपये की बढ़त हुई है यानी सालाना 6,552 करोड़ रुपये वूसले जाएंगे।
उन्होंने सवाल किया क्या मोदी सरकार ने 109 करोड़ सेलफोन उपभोक्ताओं पर लगभग 35 हजार करोड़ रुपए का बोझ डालने से पहले कोई जांच की? क्या मोदी सरकार ने नीलामी के माध्यम से स्पेक्ट्रम की खरीद से होने वाले असर का कोई अध्ययन किया? सुरजेवाला ने कहा कि ऐसा कैसे हो सकता है कि सभी सेल फोन कंपनियां अपना टैरिफ 15-20 प्रतिशत बढ़ा दें, जबकि उनका इंवेस्टमेंट, कस्टमर बेस आदि सब अलग है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को देश को इस पर जवाब देना चाहिए।