वाराणसी: काशी विश्वनाथ मंदिर में मार्च से अगस्त के बीच आने वाले श्रद्धालुओं को गर्मी नहीं सताएगी। पांव भी नहीं जलेंगे। दरअसल, मंदिर परिसर के बाहरी और आंतरिक हिस्से में अस्थायी जर्मन हैंगर लगाए जाएंगे। इससे धूप नहीं लगेगी। आरओ और वाटर कूलर की संख्या बढ़ाई जाएगी। इस बार गंगा द्वार तक पेयजल की व्यवस्था की जाएगी।
श्रद्धालुओं के लिए सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त कराई जा रही
मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा ने बताया की जुलाई में ही सावन है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर आकर दर्शन-पूजन करेंगे। इससे पहले श्रद्धालुओं के लिए सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त कराई जा रही हैं। अस्थायी जर्मन हैंगर सहित अन्य व्यवस्थाओं के लिए पहले ही टेंडर जारी किए जा चुके हैं। मार्च से अगस्त के बीच तेज धूप होती है। भीषण गर्मी पड़ती है। मंदिर के बाहरी हिस्से में मार्बल लगे हैं, जो तेज धूप के साथ तपने लगते हैं। इससे बिना जूता-चप्पल आने वाले श्रद्धालुओं को दिक्कत होती है। इसी चुनौती से निपटने के लिए छांव के इंतजाम कराए जा रहे हैं। इस बार आरओ और वाटर कूलर की संख्या बढ़ाई जाएगी। हर जगह पेयजल की व्यवस्था रहेगी।
मंदिर से जुड़े कर्मचारी मंदिर के अलग-अलग हिस्सों में जाकर श्रद्धालुओं को पानी पिलाएंगे। छह महीने में ही करीब साढ़े छह करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है। सावन में श्रद्धालुओं की संख्या ज्यादा हो जाती है। अगली गर्मी तक श्रद्धालुओं के लिए स्थायी व्यवस्था बनाई जाएगी। इसकी तैयारी भी चल रही है।