प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि यूपी पुलिस उचित जांच के बिना आरोप पत्र दाखिल कर रही है। विवेचना अधिकारी (आईओ) कर्तव्यों का निर्वहन मनमाने तरीके से कर रहे हैं। अदालत ने संबंधित आईओ को हत्या के मामलों की विवेचना का विशेष प्रशिक्षण दिलाने का आगरा पुलिस आयुक्त को निर्देश दिया। तब तक उन्हें विवेचना देने पर रोक भी लगा दी। हाईकोर्ट ने डीजीपी को विवेचना की कमियां दूर करने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने को भी कहा है।
जस्टिस मंजू रानी चौहान की कोर्ट ने आगरा के भूदेव व फर्रुखाबाद के सूरज सिंह की जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान बिना ठोस आधार के हत्या की धारा में दर्ज मुकदमे को आत्महत्या के लिए उकसाने में परिवर्तित करने पर चिंता जताई। अदालत ने पाया कि जांच अधिकारी अपने कर्तव्यों का निर्वहन मनमाने तरीके से कर रहे हैं। हत्या की धाराओं में दर्ज मुकदमे को बिना किसी ठोस सुबूत के ही आत्महत्या के लिए उकसाने की धाराओं में बदल दिया गया।
हाईकोर्ट ने दिए ये निर्देश
हाईकोर्ट ने पुलिस आयुक्त आगरा को संबंधित विवेचना अधिकारी को हत्या के मामले की जांच में कुशल बनाने के लिए विशेष प्रशिक्षण दिलाए जाने का निर्देश दिया। प्रशिक्षण पूरा होने तक उन्हें कोई जांच न सौंपने का निर्देश भी दिया। कोर्ट ने पाया कि आरोप पत्र में धाराएं बदलने के कारणों का जिक्र नहीं किया गया। कोर्ट ने दोनों याचियों में से एक, भूदेव की जमानत भी सशर्त स्वीकार कर ली। सूरज सिंह के केस की सुनवाई आगे होगी।