सुबूतों को छिपाने के प्रयास का हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान, घाट पर महिलाओं का वीडियो बनाने का मामला

प्रयागराज: छोटा हरिद्वार के नाम से मशहूर गंगानगर घाट पर बने चेंजिंग रूम से सीसीटीवी के जरिए महिलाओं की अश्लील वीडियो बनाने के फरार आरोपी महंत मुकेश गिरि को बचाने के हो रहे प्रयासों का इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया है। पुलिस की ओर से दाखिल हलफनामे में महंत के खिलाफ मिले सबूतों को छिपाने का मामला सामने आया है।

इस बात से नाराज हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को सचिव स्तर के अधिकारी से मामले की जांच करवा कर रिपोर्ट 12 सितंबर को सीलबंद लिफाफे में पेश करने का आदेश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति विक्रम डी चौहान ने आरोपी महंत मुकेश गिरि की ओर से दाखिल अग्रिम जमानत याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है।

यह है पूरा मामला

21 मई को एक महिला अपनी बेटी के साथ चेंजिंग रूम में कपड़े बदलने गई थी, जहां वह सीसीटीवी कैमरा देखकर दंग रह गई। उसे पता चला कि यह कैमरा महंत के मोबाइल फोन से कनेक्ट है तो वह उसके पास पहुंच गई और सवाल जवाब करने लगी। आरोप है कि इस पर महंत ने उस महिला को धमकी दी कि अगर वह पुलिस से शिकायत करेगी तो ठीक नहीं होगा। उसके बाद से महंत फरार है।

शिकायत के बाद पुलिस ने रिकॉर्डिंग डिवाइस की फुटेज जांच की तो पता चला कि पांच दिनों में कपड़े बदलते 200 महिलाओं के वीडियो थे। पुलिस ने सीसीटीवी को जब्त कर लिया और अन्य लोगों से पूछताछ कर रही है। पुलिस की कार्रवाई के बीच फरार महंत गिरफ्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट पहुंचा है।

सुबूतों को छिपाने की कोशिश

अदालत ने पांच जुलाई को सरकार से जवाबी हलफनामा तलब करते हुए महंत के खिलाफ मिले सुबूतों को पेश करने को कहा था। जिसके क्रम में मुरादनगर के उपनिरीक्षक रामपाल सिंह ने 15 जुलाई को हलफनामा तो दाखिल किया, लेकिन जांच के दौरान मिले वीडियो फुटेज जैसे तमाम सबूतों का खुलासा नहीं किया गया। सुबूतों के तौर पर न्यूज पेपर की कटिंग और महिला आयोग के पत्र पेश कर दिए, जबकि शिकायतकर्ता के वकील ने जांच के दौरान मिले सुबूतों की जानकारी अदालत को दी। अदालत ने हैरानी जताते हुए कहा कि जांच करने वाली पुलिस सुबूतों के बिंदु पर खामोश है, जबकि शिकायतकर्ता को सबकुछ मालूम है।