उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह, पीवी नरसिम्हा राव और हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न दिए जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त की।
इस दौरान पूर्व सरकारों को ऐसी महान हस्तियों को यह सम्मान न देने को लेकर भी नाराजगी जताई। उन्होंने मौजूदा भाजपा सरकार के इस फैसले को जमकर सराहा।
उन्होंने कहा कि उपराष्ट्रपति के पद पर रहते हुए जब मुझे पता चला कि भारत के पांच सपूतों को सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘भारत रत्न’ दिया जा रहा है, तो मन में एक नई ऊर्जा का संचार हुआ। देश और दुनिया उन्हें बहुत अच्छे से जानती है। चौधरी चरण सिंह का पूरा जीवन गांवों और किसानों के लिए समर्पित था। वे ईमानदारी के प्रतीक थे।
‘वे अपने सिद्धांतों से कभी नहीं डिगे’
उन्होंने कहा कि मैं चौधरी चरण सिंह से व्यक्तिगत रूप से नहीं मिल सका, लेकिन 1977 में जब वे राजस्थान आए, तो मैं जयपुर से श्रीगंगानगर गया और उनका आशीर्वाद लिया। वे किसानों के प्रति समर्पित थे और उनके सर्वमान्य नेता थे। उन्होंने एक अमिट छाप छोड़ी। उनका किसानों के प्रति लगाव था। उन्होंने आपातकाल के खिलाफ बहादुरी से लड़ाई लड़ी और अपने सिद्धांतों से कभी नहीं डिगे।
‘इससे बड़ी कोई उपलब्धि नहीं’
उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत रूप से मेरे लिए इससे बड़ी कोई उपलब्धि नहीं हो सकती कि भारत के उपराष्ट्रपति और एक किसान का बेटा होते हुए जब मुझे इसकी जानकारी मिली तो मैंने बिना समय बर्बाद किए मैंने इसे राज्यसभा के सदस्यों के साथ साझा किया। मैं सदन सभी वर्गों द्वारा किए गए स्वागत से अभिभूत हूं।
‘ऐसे लोगों का सम्मान करना प्रशंसा का विषय’
उन्होंने कहा कि वे किसानों से कहा करते थे- किसान अर्थव्यवस्था में योगदान देने के साथ-साथ भारत की राजनीति की रीढ़ भी हैं। आज मुझे खुशी है। किसानों के बच्चे रोजगार के मामले में बहुत आगे हैं, गांवों में कितना बदलाव आया है।
एक तरह से चौधरी साहब के सपने आज साकार हो रहे हैं। इतनी बड़ी शख्सियत का इतना बड़ा सम्मान, वह भी ऐसे दौर में जब भारत अपने अमृत काल में है। ऐसे लोगों का सम्मान करना हम सभी के लिए प्रशंसा का विषय है।