लखनऊ: राष्ट्रीय लोक जनता दल (रालोजद) के राष्ट्रीय महासचिव प्रेम सिंह कुशवाहा ने देवी-देवताओं पर टिप्पणी कर बहुसंख्यक आबादी की धार्मिक भावनाएं आहत करने की प्रवृत्ति पर कड़ा प्रहार किया है। उन्होंने कहा कि कुछ चुके हुए जातिवादी और वंशवादी नेता ऐसी टिप्पणियां सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए करते हैं।
इण्डियन कॉफी हाउस में आयोजित पत्रकार वार्ता में उन्होंने कहा कि एक नेता जिनको ‘कलियुगी रावण’ कह सकते हैं, कभी धर्म पर, कभी आरक्षण पर तो कभी जातीय जनगणना को लेकर बयानबाजी करते रहते हैं। इन नेता को ‘दगे हुए कारतूस’ की संज्ञा देते हुए उन्होंने कहा कि इन ‘कलियुगी रावण’ में हिम्मत हो तो अन्य धर्मों के विरोध में टिप्पणी करें, उनकी औकात पता चल जाएगी। हालांकि सवालों के जवाब में उन्होंने यह भी कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है। यहाँ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता भी है, लेकिन सबको अपनी बात मर्यादा में ही रखनी चाहिए। इसी तरह उन्होंने यह भी कहा कि जब अन्य दलों की सरकारें थी तब जातीय जनगणना की मांग क्यों नहीं उठायी गयी? और इस मांग पर आगे क्यों नहीं बढ़ा गया?
प्रेम सिंह कुशवाहा ने कहा कि यूपी में वंशवादी परंपरा के कुछ ऐसे नेता हैं, जो झुंड बनाकर एक से दूसरे दल में जाते हैं। इनको राजनीतिक मौसमी वैज्ञानिक कह सकते हैं। वे अपने साथ-साथ पुत्र-पुत्री के टिकट की बात पहले करते हैं। आज भी उनके परिवार के सदस्य अलग-अलग दलों की राजनीति कर रहे हैं। ऐसे नेताओं को जनता 2024 के लोकसभा चुनाव में हराकर सबक सिखाएगी। लोकतंत्र में जनता ही मालिक होती है।
महिला आरक्षण में कई वर्गों के लिए अलग हिस्सेदारी की मांग का रालोजद के राष्ट्रीय महासचिव कुशवाहा ने समर्थन किया। उन्होंने कहा कि महिलाओं और पिछड़े वर्गों के आरक्षण की सबसे बड़ी दुश्मन कांग्रेस है। वह अपने शासन काल में भी महिला आरक्षण बिल ला सकती थी। आजादी के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री ने काका कालेलकर आयोग की रिपोर्ट को एक साजिश के तहत लागू नहीं होने दिया, जिससे पिछड़े वर्गों के लोग पिछड़ते चले गये। पिछड़ा समाज आबादी के अनुपात में हिस्सेदारी से वंचित रह गया। सर्वाधिक नुकसान शिक्षा के क्षेत्र में हुआ। जब नींव ही कमजोर रह गयी तो इमारत कैसे बुलंद होती? इससे पहले, उन्होंने राष्ट्रीय महासचिव बनाये जाने के लिए रालोजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा और राष्ट्रीय प्रधान महासचिव माधव आनंद का आभार व्यक्त किया।
-आरएल पाण्डेय की रिपोर्ट