नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2024 के खत्म होते ही देश की दो सबसे बड़ी दुग्ध उत्पादक कंपनियों ने अपने उत्पादों के दाम बढ़ा दिए हैं। पहले अमूल ने दूध के दाम में दो रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की। इसके 12 घंटे बाद ही मदर डेयरी ने दिल्ली-एनसीआर बाजार में दूध की कीमतों बढ़ोतरी का एलान कर दिया है।
कंपनी ने दूध के दाम में दो रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई है। इसकी वजह पिछले 15 महीनों में लागत में वृद्धि बताई गई है। सभी प्रकार के दूध की कीमतों में वृद्धि सोमवार (3 जून) से दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के साथ-साथ अन्य बाजारों में भी लागू हो गई है। कंपनी ने आखिरी बार फरवरी 2023 में अपने तरल दूध की कीमतों में बदलाव किया था।
मदर डेयरी ने क्या कहा?
मदर डेयरी ने बयान में कहा कि वह 03 जून, 2024 से सभी बाजारों में अपने तरल दूध की कीमतों में दो रुपये प्रति लीटर की वृद्धि कर रही है। उपभोक्ता मूल्य में वृद्धि मुख्य रूप से उत्पादकों को बढ़ी हुई उत्पादन लागत की भरपाई के लिए की गई है। इसमें पिछले एक साल से अधिक समय से बढ़ोतरी देखी जा रही है।
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने एक्सप्रेसवे पर बढ़ाया टोल
वहीं, एक्सप्रेसवे का इस्तेमाल करने वाले मोटर चालकों को सोमवार से अधिक भुगतान करना होगा। दरअसल, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने देशभर में टोल दरों में औसतन पांच फीसदी बढ़ोतरी का फैसला किया है। टोल दरों में हर साल एक अप्रैल को संशोधन होता है, लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव के कारण बढ़ोतरी टाल दी गई थी।
एनएचएआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने रविवार को कहा कि नई टोल दरें तीन जून से लागू होंगी। टोल दरों में बदलाव थोक मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति में बदलाव से जुड़ी दरों को संशोधित करने की वार्षिक कवायद का हिस्सा है। राष्ट्रीय राजमार्ग पर करीब 855 टोल प्लाजा हैं, जिन पर राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क (दरों का निर्धारण और संग्रह) नियम, 2008 के अनुसार शुल्क लगाया जाता है। इनमें से 675 सार्वजनिक वित्त पोषित टोल प्लाजा हैं, जबकि 180 रियायतग्राहियों द्वारा संचालित हैं।
निजी कंपनियों को नहीं है टोल दरें तय करने का अधिकार
टोल दरों में बढ़ोतरी के बाद दिल्ली से मेरठ और दिल्ली से हापुड़ तक के सफर के लिए करीब आठ रुपये ज्यादा चुकाने पड़ सकते हैं, जबकि गाजियाबाद से अलीगढ़ के बीच लुहारली टोल पर सात रुपये ज्यादा चुकाने पड़ सकते हैं। दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे, ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे, दिल्ली-हापुड़ एक्सप्रेसवे और गाजियाबाद-अलीगढ़ हाईवे पर टोल वसूलने की जिम्मेदारी निजी कंपनियों पर है। अनुबंध के मुताबिक, हर साल टोल शुल्क में बढ़ोत्तरी का प्रावधान है, लेकिन टोल दरें तय करने का अधिकार इन कंपनियों को नहीं है बल्कि एनएचएआई खुद दरें निर्धारित करता है।