लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को नए मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा किया। मंत्री बने ओम प्रकाश राजभर को विभागों के बंटवारे में खासी अहमियत मिली है। उन्हें 2 महत्वपूर्ण विभाग पंचायती राज व अल्पसंख्यक कल्याण विभाग मिले हैं। लोकसभा चुनाव से पहले 5 मार्च को हुए कैबिनेट विस्तार और फिर मंत्रियों के विभाग बंटवारा होने के बाद सियासी चर्चा शुरू हो गई कि आखिर वो कौन सी वजह है कि ओपी राजभर का अहम जिम्मेदारियों से नवाजा गया है।
लोकसभा चुनाव से पहले सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओपी राजभर को पंचायत विभाग देकर कद बढ़ाया है। इसके पीछे राजनीतिक जानकार कहते हैं कि पूर्वांचल समेत यूपी की 35 से ज्यादा लोकसभा सीट पर राजभर का प्रभाव है। इसलिए राजभर को महत्वपूर्ण विभाग देकर उनकी अहमियत बढ़ाई गई है। बीते दिनों राजभर ने मुसलमान को लेकर बयान दिया था कि मुसलमान गलत पार्टी के साथ हैं, उनका कभी भला नहीं हो पाएगा। प्रदेश सरकार में पंचायती राज के साथ-साथ अल्पसंख्यक कल्याण मुस्लिम वक्फ एवं हज विभाग देकर राजभर के बयान पर भाजपा ने मोहर लगाई है।
ओम प्रकाश राजभर को पिछली बार पिछड़ा वर्ग कल्याण एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग दिया गया था। इस विभाग को कई अहम विभागों के मुकाबले कम महत्व का माना जाता है। राजभर के अतिरिक्त, बाकी 3 मंत्रियों को दिए गए विभाग भी कैबिनेट मंत्री के पद में हल्के माने जाते हैं। रालोद के कोटे से मंत्री बने अनिल कुमार को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग दिया गया है जबकि भाजपा के सुनील शर्मा को आईटी एंड इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग मिला है। पंचायती राज विभाग पहले भूपेंद्र चौधरी के पास था। यूपी बीजेपी अध्यक्ष बनने के बाद विभाग सीएम योगी ने अपने पास रख लिया था। 2022 विधानसभा चुनाव से पहले राजभर ने NDA छोड़ सपा का दामन थाम लिया था। वहीं 2017 में दारा सिंह चौहान के पास वन विभाग था। 2022 विधानसभा चुनाव से पहले दारा ने पार्टी से इस्तीफा देकर सपा के साथ हो गए। बाद में सपा छोड़कर घर वापसी की। इस बार दारा सिंह को कारागार विभाग दिया गया है।