नई दिल्ली: अडानी-हिंडनबर्ग मामले में कैपिटल मार्केट रेगुलेटर सेबी की जांच को मंजूरी देने वाले सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के विरुद्ध मंगलवार (13 फरवरी) को एक समीक्षा याचिका (Review Petition) दायर की गई है। इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, एक नई याचिका में पिटीशनर ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले में गलतियां हैं और सेबी के रेगुलेटरी फेल्योर्स को भी नजरअंदाज किया गया है।
अडानी-हिंडनबर्ग केस में सुप्रीम कोर्ट ने तीन जनवरी को SEBI को बचे हुए 2 मामलों की जांच के लिए तीन और महीने का समय दिया। वहीं, मामले की जांच को सेबी से लेकर एसआईटी को देने से भी इनकार कर दिया। यह फैसला चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस जे बी पारदीवाला की बेंच ने सुनाया था।
अडानी-हिंडनबर्ग केस में 22 मामलों की जांच पूरी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सेबी के रेगुलेटरी फ्रेमवर्क में दखल देने की इस अदालत की शक्ति सीमित है। SEBI ने 24 में से 22 मामलों की जांच पूरी कर ली है। सॉलिसिटर जनरल के आश्वासन को ध्यान में रखते हुए हम सेबी को अन्य दो मामलों में तीन महीने के भीतर जांच पूरी करने का निर्देश देते हैं।
शीर्ष अदालत ने कहा था कि ओसीसीपीआर की रिपोर्ट (OCCPR Report) को सेबी की जांच पर संदेह के तौर पर नहीं देखा जा सकता। अदालत का मानना है कि जांच को सेबी से एसआईटी को ट्रांसफर करने का कोई आधार नहीं है। बता दें कि ‘OCCRP’ 2006 में बनी एक इन्वेस्टर, कारोबारी जॉर्ज सोरोस और रॉकफेलर ब्रदर्स जैसे लोगों की फंडेड इन्वेस्टिगेटिव संस्था है।