Political Update: यूपी में आसान नहीं कांग्रेस की राहें, क्या जनता खोलेगी अपनी बाहें?

UP News: आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय हो गया है और गठबंधन का ऐलान हो चुका है. सपा प्रदेश की 63 सीटों पर चुनाव लड़ेगी जबकि कांग्रेस के हिस्से में 17 सीटें आई हैं. यानी यूपी में गठबंधन की बागडोर अखिलेश यादव के हाथ में ही रहेगी. वहीं कांग्रेस के खाते में आईं 17 सीटों की लड़ाई भी आसान नहीं है. पिछले रिकॉर्ड कांग्रेस खेमे के लिए अच्छे नहीं रहे हैं.

कांग्रेस के खाते में आईं ये 17 सीटें

कांग्रेस यूपी की जिन 17 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी, उनमें रायबरेली, अमेठी, कानपुर नगर, फतेहपुर सीकरी, बांसगांव, सहारनपुर, प्रयागराज, महाराजगंज, वाराणसी, अमरोहा, झांसी, बुलंदशहर, गाजियाबाद, मथुरा, सीतापुर, बाराबंकी, देवरिया लोकसभा सीट शामिल हैं.

आसान नहीं कांग्रेस की राह

अगर पिछले लोकसभा के रिकॉर्ड पर नजर डालें तो कांग्रेस के खाते में आई इन 17 लोकसभा सीटों में कुछ ऐसी हैं, जहां कांग्रेस पिछले तीन लोकसभा चुनाव में जीत नहीं पाई है. जबकि चार लोकसभा सीट ऐसी हैं, जहां पार्टी को आखिरी बार 2009 में जीत मिली थी, यानी 15 साल से जीत का सूखा बरकरार है. जबकि अमेठी में भी कांग्रेस को 2019 में हार का सामना करना पड़ा था. इनमें एक रायबरेली सीट ही ऐसी है, जहां कांग्रेस का दबदबा बरकरार है. कांग्रेस यहां से पिछले 5 चुनाव जीत रही है.

काँग्रेस इन सीटों पर हारी पिछले तीन चुनाव

कांग्रेस को 2009, 2014 और 2019 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को जिन लोकसभा सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था, उनमें फतेहपुर सीकरी, बांसगांव, सहारनपुर, महाराजगंज, प्रयागराज, वाराणसी, अमरोहा, बुलंदशहर, गाजियाबाद, मथुरा, सीतापुर, देवरिया लोकसभा सीट शामिल हैं. इनमें से सहारनपुर और गाजियाबाद सीट पर कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर रहा है.

  • फतेहपुर सीकरी – इस लोकसभा सीट पर आखिरी बार कांग्रेस 1984 में जीती थी, जब हरि कृष्ण शास्त्री चुनाव जीते थे. यानी करीब 40 साल से इस सीट पर जीत का सूखा बरकरार है.
  • बांसगांव लोकसभा सीट – बांसगांव सीट आखिरी बार कांग्रेस ने 2004 में जीती थी. कांग्रेस के टिकट पर महावीर प्रसाद चुनाव जीते थे.
  • सहारनपुर लोकसभा सीट –  सहारनपुर सीट भी आखिरी बार कांग्रेस 1984 में जीती थी लेकिन 2014 में कांग्रेस दूसरे और 2019 में तीसरे स्थान पर रही. इमरान मसूद यहां से चुनाव लड़े थे.
  • गाजियाबाद – 2004 में कांग्रेस के सुरेंद्र गोयल सांसद बने थे. 2009 में कांग्रेस के सुरेंद्र प्रकाश गोयल दूसरे, 2014 में राजबब्बर दूसरे और 2019 में कांग्रेस प्रत्याशी डाली शर्मी तीसरे स्थान पर रहीं.
  • मथुरा- मथुरा लोकसभा सीट पर भी आखिरी बार कांग्रेस 2004 में जीती थी. यहां से मानवेंद्र सिंह सांसद बने थे.
  • बुलंदशहर- इस सीट पर कांग्रेस 1984 के बाद परचम लहरा नहीं सकी है. 2019 में कांग्रेस तीसरे स्थान पर रही.
  • अमरोहा – 1984 में कांग्रेस यहां से आखिरी बार चुनाव जीती थी.
  • प्रयागराज – प्रयागराज सीट पर भी कांग्रेस 1984 में चुनाव जीती थी. यहां से अमिताभ बच्चन सांसद बने थे.
  • देवरिया – देवरिया लोकसभा सीट भी कांग्रेस लंबे समय से नहीं जीत सकी है.
  • वाराणसी – वाराणसी लोकसभा सीट पर कांग्रेस आखिरी बार 2004 में चुनाव जीती थी. 2014 और 2019 में यहां से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सांसद हैं.
  • महाराजगंज – महराजगंज लोकसभा सीट भी आखिरी बार कांग्रेस 1984 में जीती थी. इसके बाद हुए 8 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा.
  • सीतापुर – सीतापुर लोकसभा सीट पर भी आखिरी बार कांग्रेस 1989 में जीती थी.

2009 में काँग्रेस ने जीती थीं ये 3 लोकसभा सीट

कानपुर, झांसी और बाराबंकी लोकसभा सीटों पर कांग्रेस को आखिरी बार 2009 में जीत हासिल हुई थी.

  • कानपुर लोकसभा सीट – कानपुर लोकसभा सीट पर 2014 तक कांग्रेस का कब्जा रहा. यहां से श्रीप्रकाश जायसवाल सांसद बने. पिछले दो चुनाव से यह सीट बीजपी के पास है.
  • झांसी- झांसी लोकसभा सीट कांग्रेस 2009 में जीती थी, जब कांग्रेस नेता प्रदीप जैन सांसद बने थे.
  • बाराबंकी – 2009 में बाराबंकी सीट कांग्रेस के खाते में गई थी,  2009 में कांग्रेस के पी.एल. पुनिया ने यहां से जीत हासिल की थी.

अमेठी-रायबरेली से उम्मीद

कांग्रेस को जिन दो सीटों पर सबसे ज्यादा उम्मीदें हैं, उनमें रायबरेली और अमेठी लोकसभा सीट शामिल है. लेकिन कांग्रेस की राह आसान नहीं होगी, 2019 में राहुल गांधी को यहां से हार का सामना करना पड़ा था. वहीं, रायबरेली सीट से इस बार सोनिया गांधी चुनाव नहीं लड़ेंगी.