प्रमोद तिवारी ने सरकार के समक्ष रखा सुझाब, जानिए क्या है मामला

लखनऊ: राज्यसभा में विपक्ष के उपनेता प्रमोद तिवारी ने गुरुवार को यूपी के प्रयागराज में सुप्रीम कोर्ट की क्षेत्रीय न्यायपीठ की स्थापना को लेकर केन्द्र सरकार का महत्वपूर्ण ध्यानाकर्षण कराया। उन्होंने राज्यसभा में उठाए गए इस महत्वपूर्ण मुददे पर कई सांसदों के मिले समर्थन से प्रयागराज में सुप्रीम कोर्ट के क्षेत्रीय न्यायपीठ की स्थापना की सार्थक पहल सामने आयी है।

उन्होंने सरकार के सामने यह महत्वपूर्ण सुझाव रखा कि यदि भविष्य में कभी सरकार की सर्वोच्च न्यायालय से जुड़े क्षेत्रीय न्यायपीटों की स्थापना की मंशा हो ती देश के सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश के एक प्रतिष्ठित और प्राचीनतम शहर प्रयागराज में सुप्रीम कोर्ट की एक क्षेत्रीय न्यायपीठ की स्थापना करायी जानी चाहिए। उन्होनें संसद में अपने वक्तव्य में इस बात पर भी सरकार से जानना चाहा कि क्या कांग्रेस की सरकार ने जिस तरह से उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की आयु सीमा 62 से बढ़ाकर 65 वर्ष और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की आयु सीमा 65 से बढ़ाकर 70 वर्ष करने का विचार रखती थी, उस तर्ज पर मौजूदा सरकार देश को कोई आश्वासन देगी।

प्रमोद तिवारी ने किया सरकार का ध्यानाकर्षण

प्रमोद तिवारी ने न्यायाधीशों के वेतन तथा भत्ते बढ़ाए जाने पर भी सरकार का ध्यानाकर्षण किया। उनके इस महत्वपूर्ण प्रश्न का कई सांसदों के समर्थन के बावजूद भी कानून मंत्री न्यायिक क्षेत्र के इस अहम प्रकरण पर स्पष्ट आश्वासन को लेकर टालू मुद्रा में दिखे। उन्होंने सदन में स्वास्थ्य के क्षेत्र में बच्चों एवं महिलाओं से जुड़ा महत्वपूर्ण प्रकरण भी उठाया है। उन्होने बाल टीकाकरण तथा महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर को लेकर सरकार की असफलताओं को लेकर भी घेराबंदी की। उन्होनें यूएनओ तथा यूनिसेफ के आकलन का हवाला देते हुए संसद में कहा कि वैश्विक टीकाकरण में भी देश की स्थिति दुनिया के 52 खराब देशों में होना चिन्ताजनक है।

प्रमोद तिवारी ने कहा कि महिलाओं में 18% कैसर सर्वाइकल के कारण कैंसर की गम्भीर बीमारी का होना महिला स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकारी प्रयास की उदासीनता है। वहीं उन्होंने कोविशील्ड वैक्सीन के चलते बढ़‌ती असामयिक मृत्यु को भी संसद में सरकार का गैरजिम्मेदारानापन बताया ।