प्रयागराज: महाकवि कुंवर चंद्रप्रकाश सिंह की काव्य-भाषा, काव्य शिल्प और भाव भूमि विषय को लेकर तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है। यह कार्यक्रम उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय के अटल सभागार में शुरू हुआ है। कार्यक्रम के दौरान मुख्य अतिथि के रूप में प्रोफेसर सीमा सिंह मौजूद रहीं।
सभागार में मुख्य अतिथि प्रोफ़ेसर सीमा सिंह ने कहा, कवि कुंवर चंद्र प्रकाश सिंह बचपन से ही प्रतिभाशाली थे। महाप्राण निराला के संपर्क से उनकी काव्य प्रतिभा का तेजी से विकास हुआ। तभी तो चंद्र प्रकाश सिंह को छायावादी कवियों में महत्वपूर्ण स्थान बना दिया। उन्होंने कहा कि कुंवर छायावादी कवि के साथ नाटककार हैं। उनकी काव्य रचना ‘शुभे शारदे-जय जय!’ ‘जय शस्य-श्यामा’ आदमी छायावाद की शानदार झलक बताया। कार्यक्रम में एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया शशि प्रकाश सिंह ने वाचिक स्वागत भाषण प्रस्तुत किया।
कुंवर सिंह की कविताओं को आज तक मापा नहीं जा सका
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए न्यायमूर्ति रणविजय सिंह जी ने कहा कि कुंवर चंद्र प्रकाश साहित्य साधक और छायावाद के प्रतिनिधि कवि थे। वहीं, अवध विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. शिव मोहन सिंह ने कहा कि कुंवर चंद्र प्रकाश सिंह की कविताओं को आज तक मापा नहीं जा सका। यदि निराला प्रगीतों के माध्यम से छायावाद के प्रवर्तक कवि हैं तो महाकवि कुंवर चंद्र प्रकाश छायावाद के उन्नायक राजराजेश्वर कवि हैं। इस अवसर पर राष्ट्रीय सचिव डॉ. अतुल भाई कोठरी, राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय के मानविकी विद्या शाखा निदेशक डॉ. सत्यपाल तिवारी, बीएचयू से पूर्व आचार्य सुधाकर सिंह सहित सभी ने विचार रखे।
कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर गजेंद्र सिंह भदौरिया ने किया। इस दौरान इलाहाबाद उच्च न्यायालय अधिवक्ता मीडिया प्रभारी उमेश कुमार सिंह के साथ शीतला प्रसाद गौड़, मुख्य स्थायी अधिवक्ता, भक्ति वर्धन सिंह, पूर्णेन्दु सिंह, विनय सिंह, पंकज दुबे, आशीष कुमार, अजय सिंह सहित कई काव्य प्रिय लोग मौजूद रहे।