नई दिल्ली: देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने साल 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य रखा है। भारत इस लक्ष्य को हासिल कर पाएगा या नहीं? इस बारे में आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि आर्थिक विकास को लेकर जिस प्रकार का प्रचार किया जा रहा है, वो एक बड़ी गलती है।
पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन के मुताबिक, देश में ढेर सारी ढांचागत समस्याएं हैं, जिनका हल किया जाना चाहिए। मौजूदा समय में सबसे बड़ी चुनौती शिक्षा और कामगारों के स्किल सेट में सुधार लाना है। इंडिया साल 2047 तक विकसित देश नहीं बन पाएगा और अगर ढेर सारे बच्चे हाईस्कूल तक की शिक्षा भी नहीं पा पाते हैं और ड्रॉप-आउट रेट भी अधिक रहता है तब इस तरह के लक्ष्य की बात करना बिल्कुल बकवास है।
हम संभावित त्रासदी का सामना कर रहे
रघुराम राजन ने कहा कि हमारे पास बढ़ते हुई वर्क फोर्स है पर वह तभी डिविडेंड बनेगी, जब ये कामगार अच्छी नौकरियों में होंगे। मुझे लगता है कि हम इसी संभावित त्रासदी का सामना कर रहे हैं। कोरोना वायरस महामारी के बाद बच्चों में सीखने और समझने की क्षमता में आने वाली गिरावट दर्शाने वाली कुछ स्टडीज का हवाला देते हुए रघुराम राजन ने यह भी कहा कि सबसे पहले देश की वर्कफोर्स को काम पाने लायक बनाने की जरूरत है, जिसके बाद हमें उनके लिए नई नौकरियां पैदा करने पर जोर देना चाहिए।
मोदी सरकार की नीति पर इशारों-इशारों में सवाल उठाते हुए आरबीआई के पूर्व गवर्नर बोले कि देश का एजुकेशन सिस्टम दुरुस्त करने के बजाय सरकार का ध्यान हाई-प्रोफाइल प्रोजेक्ट्स की ओर है। रघुराम राजन के अनुसार, हमें प्रैगमैटिक अप्रोच की जरूरत है।