लोकसभा स्पीकर से राहुल बोले- उम्मीद है आवाज उठाने देंगे, ओम बिरला ने याद दिलाई ‘इमरजेंसी’

नई दिल्‍ली: 18वीं लोकसभा के स्‍पीकर के पद पर ओम बिरला आसीन हुए हैं। बुधवार को उन्‍हें ध्‍वनिमत से लोकसभा स्‍पीकर चुना गया। इसके बाद कांग्रेस सांसद और सदन में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने ओम बिरला को लगातार दूसरी बार स्पीकर बनने पर बधाई दी। उन्होंने कहा कि मुझे भरोसा है कि आप हमें हमारी आवाज उठाने देंगे। विपक्ष की आवाज को खत्म करना संवैधानिक नहीं है। इसके बाद ओम बिरला ने 1975 में इंदिरा सरकार के द्वारा लगाई गई इमरजेंसी की बरसी पर जमकर सदन में सुनाया। इमरजेंसी को लोकतंत्र के इतिहास का काला अध्याय बताया और सदन में दो मिनट का मौन भी रखवा दिया।

विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा कि मैं आपको पूरे विपक्ष और इंडिया ब्लॉक की ओर से बधाई देना चाहता हूं। यह सदन भारत के लोगों की आवाज का प्रतिनिधित्व करता है और आप उस आवाज के अंतिम निर्णायक हैं। सरकार के पास राजनीतिक शक्ति है लेकिन विपक्ष भी भारत के लोगों की आवाज का प्रतिनिधित्व करता है और इस बार विपक्ष ने पिछली बार की तुलना में भारतीय लोगों की आवाज का काफी ज्यादा प्रतिनिधित्व किया है।

चुनाव जीतने वाले सदस्‍यों को भी दी बधाई

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि विपक्ष आपके काम करने में आपकी सहायता करना चाहेगा। हम चाहते हैं कि सदन अच्छी तरह से काम करे। यह बहुत अहम है कि सहयोग विश्वास के आधार पर है। यह बहुत अहम है कि विपक्ष की आवाज को इस सदन में प्रतिनिधित्व करने की अनुमति दी जाए। उन्‍होंने आगे कहा कि हमें विश्वास है कि विपक्ष को बोलने की अनुमति देकर, हमें भारत के लोगों का प्रतिनिधित्व करने की अनुमति देकर, आप भारत के संविधान की रक्षा करने का अपना कर्तव्य निभाएंगे। मैं एक बार फिर आपको और सदन के सभी सदस्यों को बधाई देना चाहता हूं, जिन्होंने चुनाव जीता है।

लोकसभा स्‍पीकर ने आपातकाल पर घेरा

वहीं, लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कहा, “यह सदन 1975 में आपातकाल लगाने के फैसले की कड़ी निंदा करता है। इसके साथ ही हम उन सभी लोगों के दृढ़ संकल्प की सराहना करते हैं, जिन्होंने आपातकाल का विरोध किया, संघर्ष किया और भारत के लोकतंत्र की रक्षा का दायित्व निभाया। 25 जून, 1975 को भारत के इतिहास में हमेशा एक काले अध्याय के रूप में जाना जाएगा। इस दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाया और बाबा साहेब अंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान पर हमला किया। भारत पूरी दुनिया में लोकतंत्र की जननी के रूप में जाना जाता है। भारत में हमेशा से लोकतांत्रिक मूल्यों और वाद-विवाद का समर्थन किया गया है।”

ओम बिरला ने आगे कहा कि लोकतांत्रिक मूल्यों की हमेशा रक्षा की गई है, उन्हें हमेशा प्रोत्साहित किया गया है। ऐसे भारत पर इंदिरा गांधी द्वारा तानाशाही थोपी गई। भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को कुचला गया और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गला घोंटा गया। इमरजेंसी को लोकतंत्र के इतिहास का काला अध्याय बताते हुए लोकसभा स्‍पीकर ओम बिरला ने सदन में दो मिनट का मौन भी रखवा दिया।

अखिलेश यादव ने भी रखा अपना पक्ष

वहीं, समजावादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने भी स्पीकर ओम बिरला से मुखातिब होते हुए कहा कि जिस पद पर आप बैठे हैं, इससे बहुत गौरवशाली परंपराएं जुड़ी हुई हैं और हम सब यही मानते हैं कि बिना भेदभाव के सदन आगे बढ़ेगा। आप लोकसभा अध्यक्ष के रूप में हर दल और सांसद को बराबरी का मौका और सम्मान देंगे। उन्‍होंने कह कि निष्पक्षता इस महान पद की महान जिम्मेदारी है, आप लोकतांत्रिक न्याय के मुख्य न्यायाधीश की तरह बैठे हैं। हम सबकी आपसे अपेक्षा है कि किसी भी जनप्रतिनिधि की आवाज दबाई ना जाए और ना ही निष्कासन जैसी कार्यवाही दोबाना सदन की गरिमा को ठेस पहुंचाएं।

अखिलेश यादव बोले- विपक्ष को भी बात रखने का मौका दिया जाए

अखिलेश यादव ने ओम बिरला से कहा कि आपका अंकुश विपक्ष पर तो रहता ही है, लेकिन आपका अंकुश सत्ता पक्ष पर भी रहे। आपके इशारे पर सदन चले, इसका उल्टा ना हो। हम आपको हर न्यायसंगत फैसले के साथ खड़े हैं। उन्‍होंने निशाना साधते हुए स्पीकर ओम बिरला से आगे कहा कि मैं जिस सदन से आया हूं, उसकी कुर्सी बहुत ऊंची है। मुझे लगा कि यहां सदन में स्पीकर की कुर्सी ऊंची होगी, मैं किससे कहूं कि सदन की कुर्सी और ऊंची हो जाए। जहां ये नया सदन है, वहीं मैं आपकी पीठ के पीछे देख रहा हूं, पत्थर तो सही लगे हैं लेकिन कुछ दरार में मुझे कुछ सीमेंट अब भी लगा दिखाई दे रहा है। अध्यक्ष महोदय मुझे उम्मीद है कि आप जितना सत्ता पक्ष को सम्मान देंगे, उतना ही विपक्ष का सम्मान करके हमें भी अपनी बात रखने का मौका देंगे।