लखनऊ: उत्तर प्रदेश में आम लोगों तक उत्तम स्वास्थ्य निदान पहुंचाने के लिए प्रयासरत योगी सरकार ने प्रदेश में रैपिड डायग्नॉस्टिक टेस्टिंग किट्स की आपूर्ति के लिए प्रक्रिया की शुरुआत कर दी है। सीएम योगी की प्राथमिकता रही है कि उत्तर प्रदेश में वायरल रोगों की टेस्टिंग व निदान के लिए उचित जांच प्रक्रिया उपलब्ध हो। इस उद्देश्य से सरकार अब 32.92 लाख से ज्यादा रैपिड डायग्नॉस्टिक टेस्टिंग किट्स की आपूर्ति की प्रक्रिया पर कार्य कर रही है। उत्तर प्रदेश मेडिकल सप्लाईज कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPMSCL) को इस आपूर्ति प्रक्रिया को पूर्ण करने के लिए निर्देश जारी किए गए थे और इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए ई-टेंडरिंग प्रक्रिया की शुरुआत कर दी है।
गौरतलब है कि एक वर्ष की आपूर्ति अवधि के लिए इस टेंडरिंग प्रक्रिया को मूर्त रूप दिया जा रहा है जिसके जरिए प्रदेश में रैपिड प्लाज्मा रिएजिन प्रक्रिया समेत कई प्रकार की वायरल बीमारियों की जांच के लिए जरूरी रैपिड डायग्नॉस्टिक टेस्टिंग किट्स की आपूर्ति का मार्ग प्रशस्त हो सकेगा।
दो चरणों में आपूर्तिकर्ता के निर्धारण की प्रक्रिया होगी पूरी
आपूर्तिकर्ता के निर्धारण के लिए यूपीएमएससीएल द्वारा 21 अक्टूबर को टेंडरिंग प्रक्रिया की शुरूआत कर दी गई है। इस क्रम में 2 नवंबर को एक प्री बिड मीट निर्धारित की गई है, जबकि 20 नवंबर तक इच्छुक आपूर्तिकर्ता कंपनियां इसके लिए अप्लाई कर सकती हैं। दो चरणों में होने वाली टेंडरिंग प्रक्रिया के तहत पहले चरण में टेक्निकल बिड व दूसरे चरण में फाइनेंशियल बिडिंग की प्रक्रिया को पूर्ण किया जाएगा।
इस टेंडर के लिए प्रॉसेसिंग फीस 5900 प्लस जीएसटी निर्धारित की गई है। आवेदन करने वाले इच्छुक आपूर्तिकर्ता को अपनी किट्स की 20 यूनिट क्वॉलिटी निर्धारण के लिए यूपीएमएससीएल को उपलब्ध कराना होगा। इस टेंडरिंग प्रक्रिया को उत्तर प्रदेश शासन की रूलबुक के अनुसार अंजाम दिया जाएगा तथा यूपीएमएससीएल के मैनेजिंग डायरेक्टर इस प्रक्रिया का निरीक्षण करेंगे।
रैपिड डायग्नॉस्टिक किट्स के जरिए कई प्रकार की जांचें होंगी संभव
रैपिड डायग्नॉस्टिक टेस्टिंग किट्स जांच का एक प्रभावी माध्यम है, जिनके जरिए कई प्रकार की वायरल बीमारियों की जांच में मदद मिलती है। फिलहाल, जिन रैपिड डायग्नॉस्टिक किट्स की आपूर्ति के लिए यूपीएमएससीएल फोकस कर रहा है उसमें एचआईवी व सिफलिस के लिए ड्यूअल टेस्ट्स किट्स के तौर पर 25 लाख किट्स की आपूर्ति एक वर्ष में किया जाना सुनिश्चित किया गया है। वहीं, एचआईवी की जांच के लिए रैपिड डायग्नॉस्टिक किट्स के तौर पर 2.02 लाख किट्स की आपूर्ति एक वर्ष में की जाएगी। दूसरी ओर, रैपिड प्लाज्मा रिएजिन आरडीटी के रूप में 5.90 लाख किट्स की आपूर्ति पूरे वर्ष की जाएगी। ये किट्स एचआईवी1 व एचआईवी2 सबटाइप्स व ट्रैपोनेमा पैडिलम की सीरम व प्लाज्मा निर्धारण प्रक्रिया के जरिए पूरे शरीर की स्थिति आवलोकन में सक्षम होगी।
वहीं, एंजाइमे इम्यूनो एस्से एगलुटिनेशन व अन्य प्रिंसिपल्स के आधार पर जांच प्रक्रिया को पूर्ण करने में भी ये किट्स प्रभावी होंगी। किट्स की गुणवत्ता वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) के मानकों व सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (सीडीएससीओ) के आधार पर निर्धारित की जाएगी देश के ड्रग्स व कॉस्मेटिक्ट्स एक्ट 1940 (प्राइस कंट्रोल) के अनुसार सप्लाई कॉन्ट्रैक्ट को मूर्त रूप दिया जाएगा।