हिंडनबर्ग के आरोपों पर सेबी और अडाणी समूह ने दिया जवाब, बीजेपी ने कहा- ये विपक्ष की साजिश

नई दिल्‍ली: बाजार नियामक सेबी और अडाणी समूह ने हिंडनबर्ग के आरोपों को बेबुनियाद बताया है। रविवार को SEBI ने कहा कि उसने सेबी समूह के खिलाफ सभी आरोपों की जांच की है। चेयरपर्सन माधबी बुच ने समय-समय पर सभी खुलासे किए हैं। उन्होंने हितों के संभावित टकराव से जुड़े मामलों से खुद को अलग किया है।

सेबी के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार 3 जनवरी, 2024 तक अडाणी समूह के खिलाफ 24 में से 22 जांच पूरी की है। मार्च 24 तक एक और जांच पूरी कर ली गई। एक बाकी है। SEBI प्रमुख माधबी बुच और उनके पति धवल बुच ने भी हिंडनबर्ग के आरोपों को छवि धूमिल करने की कोशिश बताया।

भाजपा प्रवक्‍ता ने बताया विपक्ष की साजिश

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को लेकर बीजेपी सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि पिछले कुछ साल में देखा जा रहा है जब संसद सत्र जारी होता है, उसी समय ऐसे आरोप आते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर डॉक्यूमेंट्री, हिंडनबर्ग रिपोर्ट उदाहरण हैं। साफ है कि विपक्ष के तार विदेशों से जुड़े हैं।

वहीं, रिपोर्ट पर आए सेबी चीफ के बयान पर हिंडनबर्ग ने कहा- हमारी रिपोर्ट पर माधबी बुच की प्रतिक्रिया से कई नए महत्वपूर्ण प्रश्न खड़े हुए हैं। बुच का बयान विनोद अडानी द्वारा कथित तौर पर निकाले गए धन के साथ-साथ एक अस्पष्ट फंड संरचना में उनके निवेश की पुष्टि करती है। उन्होंने यह भी पुष्टि की कि यह फंड उनके पति के बचपन के दोस्त द्वारा चलाया जाता था, जो उस समय अडानी ग्रुप के डायरेक्टर थे।

अडाणी समूह बोला- हिंडनबर्ग ने जिनके नाम लिए, उनसे कारोबारी रिश्ते नहीं

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर अडाणी समूह ने कहा कि सेबी प्रमुख से ग्रुप के कारोबारी रिश्ते नहीं हैं। SEBI प्रमुख के साथ जिन लोगों के नाम लिए गए हैं, उनसे भी समूह का लेनदेन नहीं है। विदेशी होल्डिंग पर उठाए गए सवाल बेबुनियाद हैं। समूह की विदेशी होल्डिंग का स्ट्रक्चर पूरी तरह पारदर्शी है। इसका इस्तेमाल धन के हेरफेर के लिए नहीं किया गया।

ग्रुप ने कहा- हिंडनबर्ग ने अपने फायदे के लिए सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी का गलत इस्तेमाल किया। अडाणी ग्रुप पर लगाए आरोप पहले ही निराधार साबित हो चुके हैं। गहन जांच के बाद सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2024 में हिंडनबर्ग के आरोपों को खारिज कर दिया था।

हिंडनबर्ग ने रविवार को बुच दंपति पर उठाए नए सवाल

इस बीच, बुच दंपती पर रविवार शाम हिंडनबर्ग ने फिर सवाल उठाए। सोशल मीडिया पर दस्तावेजों के साथ बताया कि SEBI में रहते हुए माधबी विदेशी फंड से जुड़ी थीं।

हिंडनबर्ग के नए सवाल

  • माधबी के जवाब से पुष्टि होती है कि उनका बरमूडा/मॉरीशस के फंड में निवेश था, जिसका पैसा विनोद अडाणी ने इस्तेमाल किया। यह फंड उनके पति के बचपन के दोस्त चलाते थे, जो उस समय अडाणी के डायरेक्टर थे।
  • SEBI को अडाणी संबंधित निवेश फंड की जांच का जिम्मा दिया था, जिसमें माधबी के व्यक्तिगत निवेश वाले फंड भी शामिल थे। यह हितों का बड़े टकराव का स्पष्ट मामला है।
  • बुच ने दावा किया है कि वे दोनों कंल्सटिंग कंपनियों से 2017 में SEBI में नियुक्त होते ही हट गई थीं। लेकिन मार्च 2024 की शेयरहोल्डिंग बताती है कि अगोरा एडवायजरी (इंडिया) में माधबी की 99% हिस्सेदारी है। यह कंपनी अब भी कमाई कर रही है।
  • अगोरा पार्टनर्स सिंगापुर में माधबी की 16 मार्च 2022 तक 100% हिस्सेदारी थी, यानी SEBI में पूर्णकालिक सदस्य रहते समय तक। उन्होंने SEBI चेयरपर्सन बनने के दो हफ्ते बाद अपने शेयर पति के नाम पर ट्रांसफर किए थे।
  • अगोरा एडवायजरी ने वित्त वर्षों (22,23, 24) में 2.3 करोड़ रुपए राजस्व कमाया, जबकि इस दौरान वे SEBI की चेयरपर्सन हैं।
  • यह भी अहम है कि बुच ने SEBI का पूर्णकालिक सदस्य रहते हुए अपने निजी ई-मेल आईडी से अपने पति के नाम का इस्तेमाल कर बिजनेस किया।
  • धवल 2010 से 2019 के बीच यूनिलीवर में काम करते हुए लंदन और सिंगापुर में रहे। माधबी 2011 से 2017 के बीच सिंगापुर में एक प्राइवेट इक्विटी फंड, फिर स्वतंत्र कंसल्टेंट रहीं। हिंडनबर्ग ने जिस निवेश की बात की है, वह दंपती ने 2015 में किया था।
  • 2017 में माधबी SEBI में आईं। यह निवेश धवल ने बचपन के दोस्त अनिल आहूजा की सलाह पर किया, जो उसके CEO थे। 2018 में आहूजा ने यह फंड छोड़ दिया। तब तक इस फंड ने अडाणी समूह की किसी कंपनी के बॉन्ड, इक्विटी में निवेश नहीं किया था।
  • धवल 2019 में ब्लैकस्टोन फंड से जुड़े। वे फंड की रियल एस्टेट विंग में नहीं थे। तब तक माधबी SEBI की चेयरमैन नहीं बनी थीं। धवल ने जब सिंगापुर स्थित फंड की संयुक्त हिस्सेदारी को अपने नाम किया, तो जानकारी SEBI के साथ सरकार को दी थी। यह जानकारी सिंगापुर सरकार और देश के आयकर विभाग को भी है।
  • हिंडनबर्ग ने पहले से पब्लिक डोमेन में मौजूद जानकारियों को रहस्योद्घाटन जैसा बताया है। लेकिन SEBI के नोटिस का जवाब आज तक नहीं दिया। हिंडनबर्ग ने कई भारतीय कानूनों का उल्लंघन किया है।