बरेली: कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों को पूरी तरह रोकना संभव नहीं है, लेकिन इलाज के जरिये पूरी तरह इनका निदान संभव है। हालांकि जानकारी का अभाव, आरंभिक अवस्था में इसके प्रति लापरवाही और जांच न होना, इसके उपचार में बड़ी बाधा बनता है। इसलिए एसआरएमएस मेडिकल कॉलेज अपने 23वें स्थापना वर्ष पर हर घर के दरवाजे तक मेडिकल सेवा ले जाने का संकल्प करता है।
यह बात एसआरएमएस ट्रस्ट के संस्थापक व चेयरमैन देव मूर्ति ने जागरूकता सप्ताह के उद्घाटन पर कही। उन्होंने कहा कि इसके लिए पहले दस ब्लाक चिह्नित किए गए हैं। एसआरएमएस के स्वास्थ्य कर्मी यहां जाकर ग्रामीणों को बीमारियों के प्रति जागरूक करेंगे और जांच करेंगे। धीरे धीरे दूसरे ब्लाकों और शहर को शामिल कर इसका दायरा बढ़ाया जाएगा। जागरूकता सप्ताह में नर्सिंग के विद्यार्थियों ने नृत्य नाटिका के जरिये उपस्थित लोगों को सर्विक्स कैंसर के प्रति जागरूक किया।
देव मूर्ति ने किया उद्घाटन
एसआरएमएस मेडिकल कॉलेज में सोमवार (पहली जुलाई) को कैंसर स्क्रीनिंग एवं जागरूकता सप्ताह आरंभ हुआ। देव मूर्ति ने 23वें स्थापना वर्ष पर आयोजित इस जागरूकता सप्ताह का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि आम लोगों का जीवन निरोगी हो और उन्हें बरेली में ही विश्व स्तरीय स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकें, इस संकल्प के साथ 2002 में एसआरएमएस मेडिकल कॉलेज स्थापित किया गया था। इस संकल्प को आगे बढ़ाते हुए आज हम हर घर के दरवाजे तक स्वास्थ्य सेवाओं को पहुंचाने का अभियान आरंभ कर रहे हैं। इससे बीमारियों को पहचान कर उनका उपचार करना आसान हो सकेगा। आज से शुरू हुए जागरूकता सप्ताह में भी 6 जुलाई तक मरीजों की कैंसर स्क्रीनिंग निःशुल्क की जा रही है।
साथ ही चिकित्सक के परामर्श पर एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड, कोलोनोस्कोपी, पैप स्मीयर, पीएसए, लैरिंगोस्कोपी के लिए भी कोई शुल्क नहीं लिया जा रहा। अधिक से अधिक लोग इसका लाभ उठा कर स्वस्थ होने का संकल्प लें। इस मौके पर एसआरएमएस मेडिकल कॉलेज के डायरेक्टर एडमिनिस्ट्रेशन आदित्य मूर्ति, सुभाष मेहरा, प्रिंसिपल एयर मार्शल (सेवानिवृत्त) डा.एमएस बुटोला, डा.रोहित शर्मा, डॉ.नीलिमा मेहरोत्रा, नर्सिंग प्रिंसिपल डा.मुथुमहेश्वरी आर, डिप्टी मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ.सीएम चतुर्वेदी, डा.एसके सागर, डा.पवन मेहरोत्रा मौजूद रहे।
ब्रेस्ट कैंसर के बाद दूसरे स्थान पर जानलेवा है सर्विक्स कैंसर
जागरूकता सप्ताह में आयोजित परिचर्चा में सैनिक अस्पताल बरेली की मेजर (डॉ.) प्रांजलि द्विवेदी ने सर्विक्स कैंसर के संबंध में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि महामारी की वजह से कैंसर शब्द ही भयावह हो गया है। इसमें भी सर्विक्स कैंसर सबसे खतरनाक है। खास बात है कि वैक्सीन के रूप में इसका इलाज उपलब्ध है और इसके फैलने में 10 वर्ष का समय लगने से इसकी रोकथाम संभव है, लेकिन जानकारी के अभाव में ऐसा हो नहीं पाता। इसी वजह से यह विश्व में तेजी से फैलने में चौथे स्थान पर है, जबकि भारत में दूसरे स्थान पर। भारत में सवा लाख महिलाएं प्रति वर्ष सर्विक्स कैंसर की शिकार हो रही हैं। 80 हजार महिलाओं की मौत की वजह यही कैंसर है। 25 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं का वैक्सीनेशन, उससे अधिक उम्र की महिलाओं की समय समय पर स्क्रीनिंग और ट्रीटमेंट से इसे काबू में लाया जा सकता है। डब्ल्यूएचओ भी इसी दिशा में प्रयास कर रहा है।