नई दिल्ली: देश की शीर्ष अदालत ने मंगलवार (27 फरवरी) को अंतरिम आदेश पारित करते हुए भ्रामक दावा करने वाली पतंजलि आयुर्वेद की दवाओं के विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगा दिया है। साथ ही बाबा रामदेव की पतंजलि और उसके एमडी आचार्य बालकृष्ण को अवमानना नोटिस जारी किया है।
साल 2022 में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की ओर से दायर की गई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रही थी। इसमें कहा गया है कि पतंजलि ने कोविड वैक्सीनेशन और मॉडर्न मेडिसिन के खिलाफ नकारात्मक प्रचार किया। केस की अगली सुनवाई 15 मार्च को होगी।
भ्रामक दावे करके देश को धोखा दे रही है पतंजलि: सुप्रीम कोर्ट
जस्टिस हिमा कोहली और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने कहा कि पतंजलि भ्रामक दावे करके देश को धोखा दे रही है कि उसकी दवाएं कुछ बीमारियों को ठीक कर देंगी, जबकि इसके लिए कोई ठोस प्रमाण नहीं है। पतंजलि ड्रग्स एंड मैजिक रिमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) एक्ट में बताई गई बीमारियों के इलाज का दावा करने वाले अपने प्रोडक्ट्स का विज्ञापन नहीं कर सकती।
अदालत ने केंद्र सरकार से पूछा कि पतंजलि के विज्ञापनों के संबंध में ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम 1954 के तहत उसकी ओर से क्या कार्रवाई की गई है। यूनियन लॉ ऑफिसर ने इस बात पर सहमति व्यक्त करते हुए कि भ्रामक विज्ञापनों को स्वीकार नहीं किया जा सकता। अधिनियम के तहत कार्रवाई करना संबंधित राज्यों का काम है। यूनियन से एक हलफनामा दाखिल कर यह बताने को कहा गया है कि उसने क्या कदम उठाए हैं।