देश में तीन नए कानून आज से लागू, जानिए किन धाराओं में हुआ बदलाव?

नई दिल्‍ली: देश में सोमवार यानी एक जुलाई से तीन नए आपराधिक कानून लागू हो गए हैं। इसके बाद आईपीसी की जगह भारतीय न्याय संहिता (BNS), सीआरपीसी की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) को लागू कर दिया जाएगा। यह तीनों ही पिछले साल संसद में पास होकर कानून का रूप ले चुके हैं।

आईपीसी की बात करें तो इसमें आतंकवाद को लेकर कोई परिभाषा नहीं दी गई थी। कौन सा अपराध आतंकवाद की श्रेणी में आएगा, इसका भी जिक्र नहीं किया गया था। नए कानून के तहत आतंकवाद को विस्तार से परिभाषित किया गया है। अब जो भी भारत की एकता, अखंडता, संप्रभुता, सुरक्षा, आर्थिक सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करता है, उसे आतंकवाद की श्रेणी में रखा गया है।

भारत की संपत्ति को नुकसान पहुंचाना भी आतंकवाद

बीएनएस की धारा-113 में इसका विस्तार से वर्णन किया गया है। देश के बाहर भारत की किसी संपत्ति को नुकसान पहुंचाना भी अब आतंकवादी कृत्य माना जाएगा। माना जा रहा है कि पिछले साल अमेरिका, कनाडा और ब्रिटेन में भारतीय दूतावास पर हुए हमले के बाद विदेश में हुए हमले को भी आतंकवादी कृत्य की श्रेणी में शामिल किया गया है।

आतंकवाद की परिभाषा में आर्थिक सुरक्षा को भी जोड़ा गया है। नकली नोट या सिक्कों का चलाना या उनकी तस्करी को आतंकवाद की धारा में रखा गया है। नए कानून में बम विस्फोट के अलावा बायोलॉजिकल, रेडियोएक्टिव, न्यूक्लियर या फिर किसी भी खतरनाक तरीके से हमला करने से जिसमें किसी की मौत या चोट पहुंचती है तो उसे भी आतंकी कृत्य में गिना जाएगा। अगर किसी व्यक्ति को यह पता हो कि कोई संपत्ति को आतंकी गतिविधियों के जरिए कमाया गया है। इसके बावजूद भी वह उस पर अपना कब्जा रखता है तो वह भी आतंकी कृत्य माना जाएगा। भारत सरकार, राज्य सरकार या किसी विदेशी देश की सरकार को प्रभावित करने के लिए किसी व्यक्ति का अपहरण करना या उसे हिरासत में रखना आतंकवादी कृत्य माना जाएगा।

आतंकवाद के किस अपराध के लिए कितनी सजा

  • आतंकी गतिविधि से मौत होने पर मौत की सजा के अलावा उम्रकैद और जुर्माने का प्रावधान।
  • आतंकी साजिश रचने, कोशिश करने या आतंकी की मदद करने पर पांच साल से लेकर उम्रकैद की सजा और जुर्माना।
  • आतंकी संगठन से जुड़ने पर उम्रकैद और जुर्माने का प्रावधान।
  • आतंकी को जानबूझकर छिपाने पर तीन साल से उम्रकैद और जुर्माने का प्रावधान।

अपराध एवं दंड को किया गया पुनर्परिभाषित

  • छीनाझपटी एक संज्ञेय, गैर जमानती और गैर शमनीय अपराध (बीएनएस धारा-304)।
  • आतंकवादी कृत्य की परिभाषा: इसमें ऐसे कृत्य शामिल हैं, जो भारत की एकता, अखंडता, संप्रभुता, सुरक्षा, आर्थिक सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करते हैं या किसी समूह में आतंक फैलाते हैं (बीएनएस धारा-113)।
  • राजद्रोह में परिवर्तन: राजद्रोह के अपराध को समाप्त कर दिया गया है तथा भारत की एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों को दंडित करने के लिए देशद्रोह शब्द का इस्तेमाल किया है (बीएनएस धारा-152)।
  • मॉब लिंचिंग को एक ऐसे अपराध के रूप में शामिल किया गया, जिसके लिए अधिकतम मृत्युदंड की सजा है (बीएनएस धारा 103-(2))।
  • संगठित अपराध को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है (बीएनएस धारा-111)।

आईपीसी की धाराओं को बीएनएस की इन धाराओं बदला गया

देश में तीन नए कानून आज से लागू, जानिए किन धाराओं में हुआ बदलाव?

भारतीय न्याय संहिता 2023 (बीएनएस) में मुख्य परिवर्तन

  • आईपीसी में धाराओं की संख्या 511 से घटाकर बीएनएस में 358 कर दी गई हैं।
  • 20 नए अपराधों को जोड़ा गया है।
  • कई अपराधों के लिए अनिवार्य न्यूनतम सजा का प्रावधान किया गया है।
  • छह छोटे अपराधों के लिए सामूदायिक सेवा का प्रावधान किया गया है।
  • कई अपराधों में जुर्माना बढ़ाया गया है।
  • कई अपराधों में सजा की अवधि को बढ़ाया गया है।

भारतीय न्याय संहिता 2023 (बीएनएस) की कुछ विशेषताएं

  • महिला और बच्चों के खिलाफ अपराधों को एक अध्याय में समेकित किया गया है।
  • धारा 69 झूठे वादे पर यौन संबंध बनाने पर सख्त सजा का प्रावधान किया गया है।
  • धारा 70 (2) सामूहिक दुष्कर्म के मामले में मृत्यु दंड का प्रावधान किया गया है।

आम लोगों के लिए होगा यह बदलाव

  • छोटी सी छोटी शिकायत दर्ज कराने के लिए थानों के चक्कर लगाने या पुलिसकर्मियों को रिश्वत देने का दौर खत्म हो जाएगा।
  • हत्या, लूट, दुष्कर्म की भी ऑनलाइन एफआईआर दर्ज होगी।
  • एक जिले में हुए अपराध की जीरो एफआईआर दूसरे जिले में कराई जा सकेगी। थाना क्षेत्र का हवाला देकर पुलिस टरका नहीं सकेगी।
  • केस दर्ज कराने के बाद जांच से लेकर आगे की कार्रवाई तक सारी सूचना मोबाइल पर एसएमएस के जरिए फरियादी को दी जाएगी।

दुष्कर्म के मामलों में अधिकतम फांसी की सजा

महिलाओं के खिलाफ अपराधों में कानून ज्यादा संवेदनशील बनाए गए हैं। अब पीड़िता जहां चाहेगी, पुलिस को वहां बयान दर्ज करना होगा। दुष्कर्म के मामलों में न्यूनतम 10 साल से लेकर अधिकतम फांसी, जबकि सामूहिक दुष्कर्म में 20 साल से फांसी तक का प्रावधान। हालांकि, फांसी का प्रावधान नाबालिग से दुष्कर्म के मामलों में ही होगा।