शोधकर्ताओं ने आखिर वह तरीका खोज ही लिया है, जिससे लाखों लोगों को श्वसन तंत्र के संक्रमण से बचाया जा सके।
हीमोफिल्स इन्फ्लुएंजा बैक्टीरिया करता है हमला
दरअसल इंसानों के शरीर में पाया जाने वाला हीमोफिल्स इन्फ्लुएंजा बैक्टीरिया असल में वक्त और हालात के मुताबिक अपना रूप बदलकर श्वसन तंत्र पर हमला बोल देता है। लेकिन अब क्वींसलैंड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने इस बैक्टीरिया को मारने का तरीका खोज लिया है।
मौका मिलते है करते है म्यूटेट
शोध से जुड़े एसोसिएट प्रोफेसर के मुताबिक, आमतौर पर श्वसन पथ में बिना कोई नुकसान पहुंचाए छिपे रहने वाला यह बैक्टीरिया मौका पाकर अपना व्यवहार बदल लेता है। और निमोनिया और कान में संक्रमण पैदा कर देता है। इतना ही नहीं, ये बैक्टीरिया अस्थमा और ब्रोंकाइटिस की स्थिति को जानलेवा बना देता है। और इसकी वजह से कोविड के कुछ मरीज भी जल्दी रिकवर नहीं कर पाते हैं।
करीब सौ फीसदी कारगर है मारने का तरीका
शोध में पाया गया है कि, बैक्टीरिया अपने पोषण और अस्तित्व के लिए जीवाणु कोशिका झिल्ली में एक विशेष प्रोटीन ‘एलएलडीडी’ पर बहुत अधिक निर्भर रहता है। अगर एलएलडीडी प्रोटीन को निष्क्रिय कर दिया जाए तो बैक्टीरिया भूखा रहकर खत्म होने लगेगा। शोध के दौरान ऐसा करने पर 99.9 फीसदी बैक्टीरिया खत्म हो गया था।
बच पाएगी लाखों लोगों की जान
बता दे कि, ये शोध गंभीर श्वसन संक्रमण वाले लोगों के लिए आशा की किरण है। इसकी मदद से भविष्य में हेमोफिलस समेत श्वसन पथ में अन्य रोग पैदा करने वाले बैक्टीरिया के इलाज और उन्मूलन के रास्ते खोजे जाएंगे। जिससे दुनियाभर में लाखों लोगों को श्वसन रोगों और संक्रमणों का इलाज मिल पाएगा।