कानून और सरकार देश में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए हजारों तरीके अपना रही है।
वहीं रिश्वतखोरी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, रिश्वत मांगे जाने का सीधा सबूत न होने या शिकायतकर्ता की मृत्यु हो जाने के बावजूद भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत दोष साबित हो सकता है। दरअसल 5 जजों की संविधान पीठ का मानना है कि, जांच एजेंसी के जुटाए सबूत भी मुकदमे को साबित कर सकते हैं।
पीठ ने कहा कि, शिकायतकर्ताओं के साथ-साथ अभियोजन पक्ष को भी ईमानदार प्रयास करना चाहिए। ताकि भ्रष्ट लोक सेवकों को सजा दी जा सके, और उन्हें दोषी ठहराया जा सके ताकि प्रशासन और शासन भ्रष्टाचार से मुक्त हो सके।