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Daily Insider Desk
• Sun, 17 Jul 2022 9:09 am IST

नेशनल

राज्य सरकार की मनमानी पर सुप्रीम फैसला, SC ने कहा- दी जाए सरकारी नौकरी, पढ़िए पूरी कहानी

5 साल की उम्र में अनाथ हुए बच्चे को 19 साल तक दर-दर भटकने के बाद आखिरकार देश की सबसे बड़ी अदालत ने न्याय दे दिया। SC ने उसे अनुकंपा के आधार पर नौकरी देने का आदेश सुनाया है।

जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने यूपी सरकार की उस दलील को खारिज कर दिया जिसमें, इतने सालों के बाद अनुकंपा के आधार पर नौकरी देना गलत नजीर बनेगा। पीठ ने कहा, अगर यह गलत नजीर है तो गलत ही सही। सालों तक जिन मुश्किल हालातों से बच्चों (आवेदक व उसकी बहन) को गुजरना पड़ा, उसे सरकार ने नहीं समझा। 

सुनवाई के दौरान पीठ ने यह भी पाया कि, नाना के पास रह रहे इन बच्चों को पेंशन समेत वित्तीय लाभों से 15 साल से ज्यादा समय तक वंचित रखा गया। पेंशन व अन्य बकाया भी उन्हें 2019 में तब मिला, जब राज्य सरकार के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की गई। पीठ ने कहा, यह तो राज्य सरकार के खिलाफ जुर्माना लगाने का उचित मामला है। लेकिन मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए संबंधित अथॉरिटी को दो महीने में याचिकाकर्ता गणेश शंकर शुक्ला को शैक्षणिक योग्यता के आधार पर नौकरी देने का आदेश दिया है।

याचिका के मुताबिक, गणेश की मां गीता देवी शुक्ला जिला रमाबाई नगर के एक प्राथमिक विद्यालय में सहायक शिक्षक थीं। 13 मार्च 2003 को गीता देवी की मृत्यु हो गई। उस वक्त गणेश की उम्र महज 5 साल थी जबकि उसकी बहन 8 साल की थी। अनाथ बच्चों को नाना ने पाला पोसा। विभाग ने गीता देवी का बकाया/फंड याचिकाकर्ता को नहीं दिया। दिसंबर 2008 में याचिकाकर्ता की ओर से पेंशन/फंड रिलीज करने का संबंधित अथॉरिटी के पास अभ्यावेदन दिया गया, लेकिन अथॉरिटी ने कुछ नहीं किया।

2016 में ट्रिब्यूनल ने संबंधित अथॉरिटी से परिवार पेंशन देने का आदेश दिया। इस आदेश का पालन न होने पर अवमानना याचिका दायर की गई तब जाकर पेंशन जारी हुई। लेकिन अनुकंपा पर नौकरी को लेकर उसे राहत नहीं मिली। इलाहाबाद हाईकोर्ट से भी राहत नहीं मिलने पर गणेश ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की। तब जाकर उसे न्याय मिला।