लखनऊ: दिव्यांग शरीर वाले लोग ज्ञान, मेधा और तार्किक
शक्ति के लिहाज से अन्य सामान्य व्यक्तियों से किसी भी तरह कम नहीं होते हैं।
हमारा प्रयास उन्हें बाधा रहित, अनुकूल एवं सुगम परिवेश प्रदान करना
है। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने गुरुवार को डॉ. शकुन्तला मिश्रा
राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय यह बातें कहीं। दरअसल, विवि में आज
‘दिव्यांगजनों के शैक्षिक पुनर्वासन एवं कौशल विकास’ के क्षेत्र में कार्यरत
शैक्षिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों की एक दिवसीय कार्यशाला तथा ‘ब्रेल प्रेस’ के
उद्घाटन के अवसर पर आनंदीबेन पटेल पहुंचीं थीं।
राज्यपाल ने अपने उद्बोधन में कहा कि विश्वविद्यालय में एक ऐसी कार्यशाला का आयोजन हो रहा है, जो भविष्य में दिव्यांग बच्चों के लिए एक आशा की किरण साबित होगा। दिव्यांग बच्चों की रूचि के दृष्टिगत उनके लिए ऐसी योजनाएं क्रियान्वित की जाये, जिसे प्रदेश सरकार लागू कर सके। उन्होंने कहा कि दिव्यांग बच्चों के लिए जिन संस्थाओं द्वारा शिक्षण कार्य की व्यवस्था की जा रही है, उन सबको मिलकर उनके उत्थान के लिए प्रयास करना चाहिए।
दिव्यांग बच्चों को लाभ मिले, इलसे लिए अन्य विवि के साथ हों एमओयू
राज्यपाल ने इस बात पर विशेष रूप से जोर दिया कि प्रदेश के अन्य
विश्वविद्यालयों एवं शिक्षण संस्थानों से एमओयू कराकर, एक-दूसरे के
अनुभवों को साझा किया जाये, ताकि दिव्यांग बच्चों को इसका लाभ मिल
सके। उन्होंने कहा कि प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 लागू की गयी है,
जो
वर्तमान की आवश्यकता है, दिव्यांगजनों के शैक्षिक पुनर्वासन को
प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में कारगर होगी। राज्यपाल आनंदीबेन
पटेल ने ‘ब्रेल प्रेस’ के उद्घाटन के सम्बन्ध में कहा कि इससे दिव्यांगजनों के लिए
किताबे तैयार करने में मद्द मिलेगी तथा इसे प्रदेश के अन्य शिक्षण
संस्थानों/आंगनबाड़ी केन्द्रों आदि में भेजा जा सकेगा, फलस्वरूप जिसका
लाभ सभी दिव्यांग बच्चों को होगा।
उन्होंने अपने सम्बोधन में इस बात पर विशेष बल दिया कि सभी दिव्यांग बच्चों को किताब की उपलब्धता अवश्य सुनिश्चित की जाये। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में कार्यरत शिक्षकों को नई-नई स्किल संबंधी जानकारियों से अद्यतन रहना चाहिए। उन्होंने इसके अतिरिक्त विश्वविद्यालय से नैक मूल्यांकन में उत्कृष्ट ग्रेड प्राप्त करने का भी आह्वान किया।