ज्योतिषाचार्य से जानते हैं कैसे दूर होती है जातक की परेशानी
लखनऊ। जिस तरह हर ग्रह और राशियों के अपने-अपने वृक्ष होते हैं, वैसे ही हर नक्षत्र के भी अपने वृक्ष होते हैं।
जाने माने ज्योतिषाचार्य पंडित राजेंद्र तिवारी बताते हैं कि अपने वृक्ष होने का अर्थ है, उस ग्रह या नक्षत्रों के प्रतिनिधि। ऐसे वृक्ष जिन पर उक्त ग्रहों का प्रभाव रहता है। इसलिए वैदिक साहित्य में “वृक्ष पूजन” का निर्देश है।
जब कोई व्यक्ति परेशानियों में घिर जाता है तब ज्योतिषी जन्मकुंडली के आधार पर सबसे पहले यह जानने का प्रयास करते हैं कि किस ग्रह नक्षत्र, राशि या राशि स्वामी के कारण वह जातक परेशान है।
पुनः उस ग्रह अथवा राशि के कारकत्व को आधार बनाकर जातक की परेशानी दूर करता है। उन कारकतत्व में पेड़-पौधे भी आते हैं। जन्म कुंडली में बुरे ग्रहों के प्रभाव को कम करने के लिए तथा शुभ ग्रहों के शुभत्त्व को बढ़ाने के लिए निर्धारित पेड़-पौधों की सेवा तथा उसकी जड़ को धारण करने का विधान है।
ग्रह, राशि, नक्षत्र के आधार पर पेड़-पौधे का प्रयोग करने से सकारात्मक सोच का संचार होता है। वे परिस्थितियों को अनुकूल करने में सहायक सिद्ध होते हैं।