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Daily Insider Desk
• Sun, 17 Jul 2022 6:14 pm IST

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स्मार्ट प्रीपेड मीटर के बाद भी धड़ल्ले से हो रही बिजली चोरी, कंपनियों की उदासीनता लगा रही विभाग को चूना

लखनऊ। उपभोक्ता परिषद ने स्मार्ट मीटर की उपयोगिता को लेकर सवाल खड़े किये हैं। परिषद ने कहा है कि स्मार्ट मीटर लगने के बाद भी बिजली चोरी पकड़े जाने के मामले लगातार आ रहे हैं। जबकि कंपनियों ने दावा किया था कि बिजली चोरी नहीं हो पायेगी और इसकी तकनीकी दक्षता को लेकर कई दावे किये गये थे। अब जब कंपनियों से इस मामले पर जवाब मांगा जा रहा है तो उनके जवाब असंवेदनशील तरीके से आ रहे हैं। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि भारत सरकार की इस स्कीम को क्या यूपी में उसी रूप में लागू किया गया है। क्या प्रदेश के पास इस तकनीकी सुधार दक्षता की किसी प्रकार की कोई योजना नहीं है? परिषद ने कहा कि प्रदेश के तीन करोड़ बिजली उपभोक्ताओं के यहां लगने वाले इस स्मार्ट प्रीपेड मीटर पर बिजली कंपनियों की उदासीनता पूरी परियोजना की बाट लगा देगी।

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष और राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि पूरे प्रदेश में भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना के तहत भविष्य में स्मार्ट प्रीपेड मीटर सभी घरों में लगना है। जिसको लेकर उपभोक्ता परिषद ने बिजली दर की सुनवाई में सवाल उठाया कि गोरखपुर सहित अनेकों जगह स्मार्ट प्रीपेड मीटर में भी आसानी से बिजली चोरी पकड़ी जा रही है तो फिर यह कैसा स्मार्ट मीटर है ? जब स्मार्ट मीटर लगाने की बात हुई थी तो उसका पहला लाभ यही बताया गया कि कोई भी बिजली चोरी करेगा तो वह तुरंत पकड़ा जाएगा। उस मीटर में कोई भी टेम्परिंग सर्वर पर इंडिकेट होगा। उपभोक्ता परिषद ने विद्युत नियामक आयोग के सामने यह भी कहा कि यह कैसा स्मार्ट प्रीपेड मीटर है, जो कहने के तो स्मार्ट है, लेकिन इसकी कार्यप्रणाली स्मार्ट नहीं लग रही है? ऐसे में बिजली कंपनियां स्मार्ट और दक्ष तकनीकी आधारित स्मार्टमीट तैयार कराएं। जिससे भविष्य में इसका लाभ आम जनता और विभाग को मिल पाए। अब सबसे चौंकाने वाला मामला यह सामने आ रहा है कि उपभोक्ता परिषद के सवाल पर बिजली कंपनियों ने विद्युत नियामक आयोग में जो जवाब दाखिल किया है वह बेहद ही असंवेदनशील प्रकृति का है। बिजली कंपनियों की तरफ से यह कहा गया है कि यह स्कीम भारत सरकार की स्कीम है और इसे उत्तर प्रदेश में एडॉप्ट किया गया है। बिजली कंपनियां तकनीकी अभियंताओं से भरी पड़ी है, इसके बावजूद भी इस प्रकार का उत्तर आने वाले समय में पूरी स्मार्ट मीटर परियोजना की वाट लगा देगा।

अवधेश कुमार वर्मा ने कहा स्मार्ट प्रीपेड मीटर में जिस प्रकार से पहले गोरखपुर में बिजली चोरी पकड़ी गई, उसके बाद राजधानी लखनऊ में भी स्मार्ट मीटर में बिजली चोरी कराने वालों का गिरोह पकड़ा गया है। इससे तो ऐसा प्रतीत होता है कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर पहले लगे हुए मीटर से भी काफी घटिया तकनीकी पर आधारित मीटर हैं। क्योंकि पहले कभी ऐसा नहीं हुआ कि असामाजिक तत्व और गिरोह बनाकर लोग फोन करके बिजली चोरी की तरकीब बता रहे हों। सब मिलाकर बिजली कंपनियों को गंभीरता से सोचना होगा और स्मार्ट प्रीपेड मीटर के मामले में जो जवाब विद्युत नियामक आयोग में दाखिल किया है, उस पर उन्हें पुनर्विचार करना होगा। साथ ही स्मार्ट प्रीपेड मीटर को तकनीकी रूप से ऐसा दक्ष बनवाना होगा, जिसमें बिजली चोरी की कोई गुंजाइश ना रहे। तेज चलने की कोई गुंजाइश ना रहे, मीटर जंपिंग की कोई गुंजाइश ना रहे, तभी यह योजना भविष्य में सफल हो पाएगी। भारत सरकार की कोई स्कीम लागू करने का मतलब यह बिल्कुल नहीं होता कि उसका खामियाजा प्रदेश की जनता और उपभोक्ताओं को भुगतना पड़े। उन्होंने कहा कि उपभोक्ता परिषद के गंभीर मुद्दे पर बिजली कंपनियों का असंवेदनशील लिखित उत्तर बिजली कंपनियों की उदासीनता को दर्शाता है।