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Daily Insider Desk
• Sat, 16 Jul 2022 6:59 pm IST

एक्सक्लूसिव

राष्ट्रपति चुनाव: मुलायम विवाद से नरसंहार तक है यशवंत सिन्हा का नाम, इसलिए विपक्षी दलों ने भी बनाई दूरी

सुशील कुमार

लखनऊ। राष्ट्रपति चुनाव में दो दिन का वक्त बचा है, इस बीच विपक्ष के उम्मीदवार के तौर पर दावेदारी कर रहे यशवंत सिन्हा से जुड़े विवाद उनके लिये मुश्किलें खड़ी करते जा रहे हैं। वहीं उनकी पुरानी सहयोगी भाजपा के नेता भी यशवंत सिन्हा पर हमलावर हो गये हैं। भाजपा ने यशवंत सिन्हा से जुड़े मामलों और बयानों को लेकर विपक्ष पर निशाने साधने शुरू कर दिये हैं तो वहीं अब विपक्ष के सहयोगी दल भी उनसे किनारा करने लगे हैं। इस बीच यशवंत सिन्हा की पुरानी कुंडली खंगाली जा रही है। जिसके जरिये न सिर्फ यशवंत सिन्हा को टारगेट किया जा रहा है, बल्कि उनके समर्थन में आने वाले दलों से भी जवाब मांगे जा रहे हैं।

मुलायम पर की गई पुरानी टिप्पणी को लेकर केशव प्रसाद मौर्य और शिवपाल यादव ने अखिलेश को घेरा

मुलायम सिंह यादव जब केंद्र सरकार में रक्षा मंत्री थे, तब तत्काली भाजपा के वरिष्ठ नेता और वर्तमान में विपक्ष के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने गंभीर आरोप लगाये थे। उन्होंने दावा किया था कि रक्षा मंत्री मुलायम सिंह यादव के पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से सीधे संपर्क है। अपने इस बयान के समर्थन में यशवंत सिन्हा ने कई सबूत होने के भी दावे किये थे। तब यह खबर कई अखबारों में छपी थी। अब जब यशवंत सिन्हा विपक्ष के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार हैं और समाजवादी पार्टी ने उन्हें अपना समर्थन दिया है तो भाजपा सरकार के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने अखिलेश यादव पर निशाना साधा है। उनके बाद मुलायम सिंह की छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव ने भी अखिलेश यादव को पत्र लिखकर सवालों के कठघरे में खड़ा किया है। शिवपाल ने यहां तक कह दिया है कि सपा द्वारा यशवंत सिन्हा को समर्थन दिया जाना क्षोभ और दुख से भरा हुआ है।

लक्ष्मणपुर बाथे नरसंहार के दाग से कई दलों ने बनाई दूरी

 30 नवंबर और 01 दिसंबर 1997 को बिहार के लक्ष्मणपुर-बाथे नरसंहार को अब तक का सबसे बड़ा नृशंस नरसंहार माना जाता है। इसमें रणवीर सेना ने करीब 58 लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी थी। इसमें बच्चे और गर्भवती महिलाओं को भी नहीं बख्शा गया था। इस नरसंहार की जिक्र आते ही लोगों की रूह कांप जाती है। इस हत्याकांड में भी यशवंत सिन्हा का नाम आ चुका है। खोजीपत्रकारिता करने वाली वेबसाइट कोबरापोस्ट ने रणबीर सेना के छह कमांडरों और एक पूर्व जज से बातचीत की थी। जिसमें दो कमांडर ने साफ तौर पर पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर और पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा का नाम लिया था। उन्होंने यह स्वीकार किया था कि उन्होंने उनकी पैसों और हथियारों से मदद की थी। रणवीर सेना के छह कमांडरों चंदकेश्वर सिंह, रविंद्र चौधरी, प्रमोद सिंह, भोला सिंह, अरविंद कुमार सिंह और सिद्धनाथ सिंह ने बिहार के कई नरसंहारों को अंजाम दिया था। जिसमें रविंद्र चौधरी के अलावा बाकी पांच लक्ष्मणपुर बाथे नरसंहार में आरोपी थे, वहीं रवींद्र चौधरी सरथुआ (भोजपुर) नरसंहार में आरोपी था। आरोपी प्रमोद सिंह ने यशवंत सिन्हा नाम कोबरापोस्ट की स्टिंग में लेते हुए कहा था कि, ‘बीजेपी का सरकार जिस समय था... उस समय यशवंत सिन्हा बराबर आते थे... मुखिया जी (रणवीर सेना प्रमुख ब्रह्मेश्वर सिंह) से बराबर मिले थे... जिस समय छापेमारी हो रही थी... उस समय हमारे गांव में थे...। उन्होंने हमें साढ़े पांच लाख रुपये दिए थे।

तत्कालीन बीजेपी नेता और अब विपक्ष के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के उपर बाथेपुर नरसंहार का दाग ऐसा है कि इसे भुलाया नहीं जा सकता। इस नरसंहार महादलितों की क्रूर हत्यायें की गईं थीं। रणवीर सेना ने एक समय में बिहार में जातीय नरसंहार को बड़ी संख्या में अंजाम दिया था। यही कारण है कि विपक्ष में भी खासकर दलितों-पिछड़ों और आदिवासियों के प्रतिनिधित्व वाली पार्टियों ने बीजेपी का विरोध करने के बावजूद उनके उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन किया है।